नागपुर, अमरावती के बाद, अब अहिल्यानगर (पहले अहमदनगर) में कई मंदिरों ने मंदिरों की पवित्रता, शिष्टाचार और संस्कृति को बनाए रखने के लिए ड्रेस कोड लागू करने का फैसला किया है। पूर्व में यह प्रस्ताव राज्य स्तरीय ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास परिषद्’ में दिनांक 4 व 5 फरवरी 2023 को जलगांव में मन्दिरों एवं धार्मिक परम्पराओं के संरक्षण हेतु पारित किया गया था। उसी पर विचार-विमर्श कर यहां भी आयोजित प्रान्तीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित किया गया। 7 मई 2023 को बैठक में यह निर्णय लिया गया। उसके बाद अहिल्यानगर के ग्राम देवता श्री विशाल गणपति मंदिर में बैठक के बाद महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक सुनील घनवट की उपस्थिति में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इन मंदिरों में ड्रेस कोड लागू
जिन मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया है, उनमें श्री तुलजाभवानी माता मंदिर बुरहाननगर, श्री शनि-मारुति मंदिर मालीवाड़ा, श्री शनि-मारुति मंदिर दिल्ली गेट, श्री शनि-मारुति मंदिर, जेंडीगेट, श्री तुलजाभवानी मंदिर, सबजेल चौक, श्री गणेश राधाकृष्ण मंदिर मार्केट यार्ड, श्री राम मंदिर पवननगर शामिल हैं। सवेदी, श्री विठ्ठल- रुक्मिणी मंदिर वणीनगर सहित पूरे अहिल्यानगर जिले के मंदिरों में आगामी 2 माह में ड्रेस कोड लागू करने की घोषणा की गई है।
मणिपुर हिंसा जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग गठित, शाह ने की लोगों से ये अपील
महाराष्ट्र टेंपल फेडरेशन ने व्यक्त की भावना
जिस तरह महाराष्ट्र सरकार ने 2020 में राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में ड्रेस कोड लागू किया, उसी तरह कई मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों, मस्जिदों और अन्य पूजा स्थलों, निजी प्रतिष्ठानों, स्कूल-कॉलेजों, अदालतों, पुलिस आदि में ड्रेस कोड लागू है। ‘महाराष्ट्र टेंपल फेडरेशन’ के समन्वयक ने सुनील घनवट यह विचार व्यक्त किया।
घनवट ने कहा, “उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाराष्ट्र में श्री घृष्णेश्वर मंदिर, अम्मलनेर में श्री देव मंगलग्रह मंदिर, वाराणसी में श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश में श्री तिरुपति बालाजी मंदिर, प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल में, कन्याकुमारी में श्री माता मंदिर कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में एक सात्विक ड्रेस कोड कई वर्षों से लागू है। गोवा के अधिकांश मंदिरों में ड्रेस कोड लागू है, जिसमें ‘बेसिलिका ऑफ बॉर्न जीसस’ और ‘सी कैथेड्रल’ जैसे बड़े चर्च शामिल हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने भी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के ‘जीन्स पैंट’, ‘टी-शर्ट’, चमकीले रंग या कढ़ाई वाले कपड़े और ‘चप्पल’ पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मद्रास उच्च न्यायालय ने भी 1 जनवरी, 2016 से राज्य में एक ड्रेस कोड लागू किया, जिसमें स्वीकार किया गया कि ‘वहां के मंदिरों में प्रवेश करने के लिए सात्विक पोशाक पहननी चाहिए’।
Join Our WhatsApp Community