पिछले कुछ दिनों से भारत में कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन ने कई देशों में कहर बरपा रखा है। भारत में भी ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
कोरना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने एहतियाती कदम उठाए हैं और 15-18 वर्ष की आयु के बच्चों का टीकाकरण अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत स्वास्थ्य कर्मियों, पहली पंक्ति के कर्मचारियों और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बूस्टर डोज भी लोगों को ओमिक्रोन संक्रमण से नहीं रोक पाएगी।
कोरोना भयानक बीमारी नहीं
आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी में वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश मुलायल ने बताया, “कोरोना अब एक भयानक बीमारी नहीं है। नए स्ट्रेन का प्रभाव न्यूनतम है और बहुत कम लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। ओमिक्रोन के संक्रमण से हम निपट सकते हैं। संभवत: 80 प्रतिशत से अधिक लोगों को यह भी नहीं पता होगा कि वे कभी ओमिक्रोन से संक्रमित हुए हैं। “
टेस्ट पर भी उठाए सवाल
किसी भी चिकित्सा समिति द्वारा बूस्टर डोज की सिफारिश नहीं की गई है। मुलायल ने कहा कि बीमारी की प्राकृतिक प्रगति को नहीं रोका जा सकता। समिति बिना लक्षण वाले मरीजों के करीबी लोगों के कोरोना टेस्ट का भी विरोध करती है। उसके अनुसार, सिर्फ दो दिनों में वायरस दोगुना हो रहा है, तो हो सकता है कि कोरोना टेस्ट के नतीजे आने तक लोग संक्रमित व्यक्ति से संक्रमित हो गए हों। समिति का कहना है कि ऐसी स्थिति में परीक्षण करना लाभदायक नहीं होगा और इससे कोरोना के प्रसार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।