शिवसेना के चुनाव चिन्ह को लेकर उद्धव गुट और शिंदे गुट में ठनी है। यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया है। हाल ही में इस मामले की सुनाई चुनाव आयोग में हुई। इस मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को होगी, जिसमें चुनाव आयोग उद्धव गुट की दलील सुनेगा। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ निर्वाचन आयोग में लंबित है।
शिवसेना के संविधान में बदलाव को बताया असंवैधानिक
असली शिवसेना को लेकर छिड़ी लड़ाई लगातार तीखी होती जा रही है। चुनाव आयोग ने शिंदे गुट की दलील सुन ली है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ की तरफ से जाने-माने वकील महेश जेठमलानी ने अपनी दलील में कहा है कि उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के संविधान में बदलाव करके शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की सोच पर प्रहार किया है। 2018 में उद्धव ठाकरे ने एक गुप्त और असंवैधानिक बदलाव किया। ये पूरी तरह से गैरकानूनी है। शिंदे गुट के वकील महेश जेठमलानी ने निर्वाचन आयोग के समक्ष सुप्रीम कोर्ट के 1971 के एक फैसले का हवाला दिया, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाले समूह को मूल कांग्रेस के रूप में मान्यता दी थी।
17 जनवरी को उद्धव ठाकरे गुट रखेगा अपना पक्ष
कपिल सिब्बल 17 जनवरी को उद्धव गुट ‘उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ की तरफ से पक्ष रखेंगे। 14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा। उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि उनके पास 14 विधायक, 12 एमएलसी, सात लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सांसदों का समर्थन है। उद्धव गुट का ये भी कहना है कि एकनाथ शिंदे गुट के पास किसी विधायक और सांसद का समर्थन नहीं है, क्योंकि उनके कैंप के 40 विधायक और 12 सांसदों पर अयोग्यता की कार्यवाही चल रही है। जुलाई, 2022 में राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा एकनाथ शिंदे को पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था। बता दें कि उद्धव ठाकरे ने 2019 में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि, यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और पहले ही शिवसेना में फूट पड़ गई और सरकार गिर गई। इस फूट के बाद ही शिवसेना दो फाड़ हो गई थी।