देश के लिए बड़ी खुशखबरी है। पहली बार देश में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक हो गई है। नेशनल हेल्थ सर्वे-5 द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार देश में अब 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हो गई हैं।
इससे पहले 2015-16 में किए गए सर्वे में यह आंकड़ा 1000 पुरुषों पर मात्र 991 महिलाएं थीं। इसके साथ ही जन्म के समय का लिंगानुपात में भी बड़ा सुधार आया है। ताजा सर्वे में यह आंकड़ा प्रति 100 बच्चों पर 929 बच्चियां हो गया है। इससे पहले के 2015-16 के सर्वे में यह आंकड़ा 1000 बच्चों पर 919 बच्चियां थीं।
लिंगानुपात में गाव में ज्यादा बेहतर
विशेष बात है कि कुल जनसंख्या में शहरों की अपेक्षा लिंगानुपात गांवों में बेहतर हुआ है। देश के गांवों में प्रति 1000 पुरुष पर 1037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में मात्र 985 महिलाएं हैं। हालांकि आबादी में महिलाओं का अनुपात तो बढ़ा है लेकिन शिक्षा में उनकी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है।
शिक्षा के मामले में अभी भी पीछे
आज भी देश में 41 प्रतिशत महिलाएं ही ऐसी हैं, जिन्हें 10वीं कक्षा से आगे तक शिक्षा प्राप्त हुई है। 59 प्रतिशत महिलाएं 10वीं से आगे की शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकीं। गांवों में तो केवल 33.0 प्रतिशत महिलाएं ही 10वीं से आगे पढ़ाई कर सकीं। इसके साथ ही इस युग में भी इंटरनेट की पहुंच मात्र 33.3 प्रतिशत महिलाओं तक ही है।
प्रजनन में कमी
देश में पहली बार प्रजनन दर 2 पर आ गई है। 2015-16 में यह दर 2.2 थी। विशेष बात यह है कि 2.1 की प्रजनन दर को रिप्लेसमेंट मार्क माना जाता है। यानी इस दर के बाद देश की आबादी स्थिर बनी रहती है। इससे कम दर को देश की आबादी में गिरावट आने का संकेत माना जाता है।