Sanatan: महाकुंभ में संतों का जमावड़ा लगा हुआ है। गंगा-जमुना-सरस्वती के संगम तट पर संत साधना में लीन हैं। एक से बढ़कर एक संतों के यहां दर्शन हो रहे हैं। कोई बेहद पढ़ा लिखा है तो कोई ध्यान में निपुण है। मेले में एक शिविर ऐसा भी है, जहां मुख्य महामंडलेश्वर से लेकर अन्य महामंडलेश्वर तक सभी विदेशी हैं। सनातन धर्म से प्रभावित होकर वह संन्यास ले चुके हैं। इनमें जापान, फ्रांस, अमेरिका, रूस और इजरायल के भी संत शामिल हैं। इसमें कई डॉक्टर, इंजीनियर और शिक्षक भी रह चुके हैं।
कुम्भ क्षेत्र में साईं मां का शिविर लगा है। मॉरीशस में एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में जन्मी साईं मां ने अपना जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया है। जगद्गुरु की उपाधि प्राप्त करने वाली 27 सौ वर्ष पुराने विष्णुस्वामी वंश की प्रथम महिला के रूप में साईं मां महाकुंभ में अपने शिष्यों और भक्तों के साथ मौजूद हैं।
कई देशों में हैं आध्यात्मिक केंद्र
साईं मां ने बताया कि वाराणसी में एक आश्रम स्थापित किया है। इसके अलावा यूएसए, जापान, कनाडा, यूरोप, इजरायल और दक्षिण अमेरिका में भी आध्यात्मिक केंद्र बनाया है। आध्यात्मिकता में पीएचडी के साथ कई बड़ी उपलब्धि भी हासिल कर चुकी हैं। साईं मां के आदेश से कई शिष्यों ने आजीवन साधना और सेवा की प्रतिज्ञा ली है।
शिविर में रह रहे 100 से ज्यादा विदेशी
महाकुम्भ में साईं मां ने बहुत से विदेशियों को दीक्षा दी है। अभी भी उनके शिविर में 100 से ज्यादा विदेशी अलग-अलग देशों से आकर रुके हैं। वे कुम्भ के 45 दिन के कल्पवास को पूरे सनातन परंपरा के साथ जी रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि उनके शिविर में एक दो नहीं बल्कि लगभग 12 महामंडलेश्वर मौजूद हैं। ये सभी विदेशी हैं। इनमें कोई इंजीनियर है तो कोई डॉक्टर, कोई साइकोलॉजिस्ट है तो कोई शिक्षक। सभी अपने फील्ड के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। सनातन और साईं मां से प्रभावित होकर उन्होंने अपना लक्ष्य बदल लिया। प्रयागराज में 2019 के कुंभ मेले में साईं मां के नौ ब्रह्मचारियों को विष्णुस्वामी वंश के अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े में महामंडलेश्वर के रूप में दीक्षा दी गई थी।
सनातन के लिए काम कर रहीं साईं मां, दुनिया में फैला रहीं सनातन का ज्ञान
उन्होंने बताया कि इनमें महामंडलेश्वर महंत 108 स्वामी परमेश्वर दास महाराज वाराणसी के स्वामी जी शक्तिधाम फाउंडेशन के आध्यात्मिक सलाहकार हैं। जगद्गुरु साईं मां के साथ वह 30 वर्षों में कई नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभा चुके हैं। वे विश्वभर में पढ़ाते और प्रशिक्षित करते हैं। छह पुस्तकें प्रकाशित करा चुके हैं। मनोविज्ञान में पीएचडी की है। वहीं महामंडलेश्वर महंत 108 श्री देवी मां चिलीका सनातन की अलख जगा रहीं हैं। श्री देवी मां जगद्गुरु साईं मां की शिक्षाओं से प्रेरित हैं। वह अमेरिका के पहले आध्यात्मिक विद्यालय, विदालिनदा की संस्थापक और प्रमुख शिक्षिका हैं।
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन कार्यक्रमों, कार्यशालाओं, रीट्वीट और भारत की पवित्र तीर्थयात्राओं के माध्यम से स्पेनिश भाषी दर्शकों के साथ सनातन धर्म के उपदेशों को साझा करती हूं।
विश्व भर में साईं मां की पहल पर काम
उन्होंने बताया कि महामंडलेश्वर महंत 108 त्रिवेणी दास महाराज फ्लोरिडा, यूएसए में जगद्गुरु साईं मां के वैश्विक संगठन, एमएए के प्रबंध निदेशक हैं। वह विश्व भर में साईं मां की पहल पर काम करती हैं। मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि के साथ वे गहन उपचार, आत्म-साक्षात्कार और एक आनंदमयजीवन को प्रेरित करने के लिए धार्मिक ज्ञान और आधुनिक समझ को जोड़ते हैं। महामंडलेश्वर महंत 108 जयेंद्र दास महाराज फ्रांस में आश्रम संभालते हैं। जयेंद्र दास महाराज एक शिक्षक, वक्ता और कोच हैं। वह ताई ची कार्यशालाओं और यूरोप और उत्तरी अमेरिका में परिवर्तनकारी शिक्षाओं के माध्यम से वैदिक ऊर्जा और ज्ञान को साझा करते हैं।
ललिता श्री मां एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक
उन्होंने बताया कि जयेंद्र दास पहले इंजीनियर हुआ करते थे। वह इंजीनियरिंग और एर्गोनॉमिक्स के बैकग्राउंड से हैं। इन सभी चीजों को छोड़कर उन्होंने संन्यास ग्रहण किया है। महामंडलेश्वर महंत 108 ललिता श्री मां कोलोराडो यूएसए में रहती हैं। ललिता श्री मां एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक, उपचारक और शिक्षिका हैं। उन्हें आत्म-नियंत्रण और आघात उपचार में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है। महामंडलेश्वर महंत 108 राजेश्वरी मां टोक्यो, जापान में परिवर्तनकारी शिक्षिका, ऊर्जा उपचारक हैं। वह जापान में जगद्गुरु साईं मां के संगठन और समुदाय की संस्थापक नेता हैं। महामंडलेश्वर महंत 108 जीवन दास महाराज फ्लोरिडा यूएसए में एक लाइसेंस प्राप्त नैदानिक मनोचिकित्सक, आध्यात्मिक शिक्षक और कोच हैं। उन्हें युवाओं और उनके परिवारों की सेवा करने का 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है।
त्रिवेणी दास महाराज एक साइकोलॉजिस्ट
उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि 2019 के कुंभ में सभी ने महामंडलेश्वर की उपाधि पाई थी, लेकिन सभी का संन्यास काफी पहले ही हो चुका था। कोई 2004 में तो कोई 2006 में संन्यास लेकर सनातन की सेवा कर रहा है। त्रिवेणी दास महाराज एक साइकोलॉजिस्ट हैं। उनका कहना है कि मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात है मैं पहले लोगों की सेवा अपने कार्य के लिए करता था, लेकिन मुझे साईं मां से मुलाकात के बाद इस बात का अहसास हुआ कि मैं अपने जीवन को और भी बेहतर तरीके से लोगों के लिए लगा सकता हूं, इसलिए मैंने पहले संन्यास लिया। बाद में साईं मां ने मुझे महामंडलेश्वर बनाकर सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी दी। अब मैं आनंद के साथ पिछले 23 सालों से अपनी जिंदगी को जी रहा हूं।
जापान की शिक्षिका राजेश्वरी महामंडलेश्वर बन कर रहीं प्रचार
स्वामी परमेश्वर दास महाराज भी महामंडलेश्वर हैं। वह यूएस आश्रम की कमान संभालते हैं। उनका कहना है कि मैं पहले अंधेरे में था। पीएचडी पूरी करने के बाद वह साइकोलॉजी के क्षेत्र में जीवन को आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा सनातन से जुड़कर कुम्भ में सबकी सेवा भी कर रहे हैं। वहीं फ्रांस के महामंडलेश्वर जयंत दास महाराज का कहना है कि वह इंजीनियर थे। इंजीनियर के तौर पर उन्होंने अच्छा जीवन व्यतीत किया, लेकिन बाद में सब कुछ छोड़कर कुछ अलग करने का मन बना लिया। उन्होंने सनातन की राह को पकड़ा। संन्यास लेकर महामंडलेश्वर बने। वहीं जापान की महामंडलेश्वर राजेश्वरी मां शिक्षिका थीं। अब सनातन के साथ जुड़कर अपने जीवन को आगे बढ़ा रही हैं। वहीं इजराइल के आश्रम की देखरेख करने वाले आचार्य दयानंद दास योगा टीचर थे। उन्होंने योग से प्रभावित होकर सनातन को चुना। संन्यास लेकर अब महामंडलेश्वर के तौर पर सनातन धर्म को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।