छत्तीसगढ़ः विहिप की चार दिवसीय बैठक, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

छत्तीसगढ़ के रायपुर में विहिप की होने वाली चार दिवसीय बैठक मे विदेशी 14 पदाधिकारी भी हिस्सा लेंगे। मार्गदर्शक मंडल के रूप में साधु-संत भी शामिल होंगे। अनुषांगिक संगठन बैठक की व्यवस्था और तैयारियों को देख रहे हैं।

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति की चार दिवसीय बैठक 23 जून से शुरू होगी। राजधानी के माहेश्वरी भवन में होने वाली इस बैठक में विहिप के 400 पदाधिकारी शामिल होंगे। इस दौरान देश भर में हो रही मतांतरण की घटनाओं, अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा, उद्घाटन की तैयारी और हिंदुत्व के मुद्दों पर चर्चा होगी।

विश्व हिंदू परिषद के ये पदाधिकारी होंगे शामिल
बैठक में विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह और विहिप के पालक अधिकारी भैयाजी जोशी, विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.रविंद्र नारायण सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, महामंत्री मिलिंद परांडे, संगठन महामंत्री विनायक देशपांडे, राम मंदिर निर्माण समिति के महामंत्री चंपत राय समेत राष्ट्रीय पदाधिकारी और 44 संगठन राज्यों के अध्यक्ष, संगठन महामंत्री और महामंत्री शामिल होंगे।

साधु-संत भी होंगे शामिल
इस बैठक में विदेशी 14 पदाधिकारी भी हिस्सा लेंगे। मार्गदर्शक मंडल के रूप में साधु-संत भी शामिल होंगे। अनुषांगिक संगठन बैठक की व्यवस्था और तैयारियों को देख रहे हैं। यह बैठक कमल विहार स्थित माहेश्वरी भवन में होगी। बैठक में आगामी कार्ययोजना और मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर भी चर्चा होगी।

बैठक की तैयारी शुरू
विहिप प्रांत इकाई के अध्यक्ष संतोष गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर वर्मा, प्रांत संगठन मंत्री जितेन्द्र वर्मा और प्रांत मंत्री विभूति भूषण के अलावा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रमेश मोदी के निर्देशन में बैठक की तैयारियां शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ में यह बैठक 2003 के बाद हो रही है।

21 जून से पहुंचने लगेंगे विहिप पदाधिकारी
बताया गया है कि प्रांत व क्षेत्र के पदाधिकारी 21 जून की शाम पहुंच जाएंगे। 22 जून को क्षेत्रीय व प्रांतीय पदाधिकारियों की बैठक होगी। इसमें पिछली बैठक की समीक्षा और भविष्य की कार्ययोजना बनाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों हुई धर्मांतरण की घटनाओं से राज्य के आदिवासी बहुल जशपुर, कवर्धा और बस्तर में स्थानीय लोगों में आक्रोश है । बस्तर में आदिवासियों के धर्मांतरण के बाद नारायणपुर में ग्रामीणों में संघर्ष भी हुआ है।

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