Ganeshotsav: जैसलमेर में घर देने वाले गणपति, ऐसी है मान्यता

चूंधी गणेश मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां चंवद नामक सिद्ध महात्मा ने कई सालों तक तपस्या की थी। ये स्थान उन्हीं के नाम से चूंधी के नाम से जाना जाता है।

409

Ganeshotsav: जैसलमेर शहर से 12 किमी दूर चूंधी गांव में भगवान गणेश का मंदिर है। मान्यता है कि यहां हर मन्नत पूरी होती है। बताया जाता है कि मंदिर 1400 साल पुराना है। काक नदी के बरसाती वेग से गणेश भगवान की मूर्ति प्रकट हुई थी। दशकों से यहां पूजा अर्चना की जा रही है। बारिश के दिनों में काक नदी का पानी इस मंदिर में मूर्ति का जलाभिषेक करते हुए निकलता है। इसके बाद भी प्रतिमा का स्वरूप नहीं बदला है। मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और हर बुधवार को यहां भक्तों की भीड़ लगती है।

मनोकामना पूर्ण करने वाले गणेश मंदिर
इस मंदिर को मकान की मनोकामना पूर्ण करने वाले गणेश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस कारण इस मंदिर के आसपास पत्थरों से जमकर कच्चे मकान जैसा भक्त बनाते हैं। मान्यता है कि जो भी यहां इस तरह पत्थर जमाकर मकान बनाता है, गणेश भगवान उसका पक्का मकान बनवा देते हैं। चून्धी गणेश मंदिर का मुख्य द्वार विशाल पीले पत्थर का बना हुआ है। इसके द्वार के दोनों और सफेद संगमरमर की हाथी की मूर्तियां लगी हुई हैं। द्वार में प्रवेश कर आगे गुजरते हुए एक रास्ता सीढ़ियों से नीचे की तरफ नदी की ओर जाता है। इसी नदी में स्थित है सुप्रसिद्धि चूंधी गणेश का मंदिर है।

मंदिर की मूर्ति से जुड़ी कथा
मंदिर की मूर्ति से जुड़ी कथा को बताते हुए इस मंदिर के पुजारी प्रबल द्विवेदी के अनुसार इसका निर्माण किसी इंसान ने नहीं किया है। ये मूर्ति खुद ही जमीन से प्रकट हुई थी। बरसात के मौसम में यहां नदी बहती है और मूर्ति पानी में डूब जाती है। मगर आज तक कभी भी इसका आकार, रूप न तो बदला न ही प्रतिमा घिसी है।

Waqf Board: क्या आपको पता है, वक्फ बिल पर संयुक्त संसदीय समिति में कितनी याचिकाएं दायर हुई हैं? जानकार हैरान रह जाएंगे

चंवद नामक सिद्ध महात्मा ने की थी तपस्या
चूंधी गणेश मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां चंवद नामक सिद्ध महात्मा ने कई सालों तक तपस्या की थी। ये स्थान उन्हीं के नाम से चूंधी के नाम से जाना जाता है। यहां अन्य ऋषियों ने भी तपस्या की थी, इसलिए इस स्थान को विशेष पवित्र माना गया है। यहां हर साल गणेश चतुर्थी को मेला लगता है दूर दूर से भक्तजन अपनी मनोकामना के साथ यहां आते है और तथा पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर से उतर कर नदी की तरफ जाने पर यहां वहां एक के ऊपर एक जमे पत्थर नजर आते हैं। यहां खुद का मकान बनने की मनोकामना लेकर लोग आते हैं और पत्थर जमाकर भगवान ने मकान बनने की मन्नत मांगते हैं।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.