निजी अस्पतालों में टीकाकरण की रफ्तार काफी धीमी होने के कारण सरकार उनके कोटे में कटौती कर सकती है। फिलहाल उन्हें 25 प्रतिशत कोटा दिया जा रहा है, लेकिन निजी अस्पतालों में टीके की खपत नहीं हो पा रही है। इसलिए सरकार उनको कोटे को कम करने के बारे में विचार कर रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में निजी अस्पतालों में टीके की खपत नहीं होने को लेकर जानकारी देते हुए कहा कि फिलहाल उनके द्वारा इस्तेमाल नहीं किए गए टीके का 7-9 प्रतिशत सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
दो-तीन महीनों से धीमी पड़ी रफ्तार
निजी अस्पतालों में टीके की खपत नहीं होने के कारण वैक्सीन उत्पादक कंपनियों के लिए आने वाले दिनों में निजी अस्पतालों को 25 प्रतिशत टीका आरक्षित रखने की बाध्यता खत्म की जा सकती है। बता दें कि निजी अस्पतालों में पिछले दो-तीन महीनों से टीकाकरण की रफ्तार काफी धीमी है।
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बचे टीकों का इस्तेमाल सरकारी केंद्रों पर शुरू
भाजापा सांसद सुशील कुमार मोदी ने निजी अस्पतालों के टीके के कोटे में कटौती को लेकर प्रश्न पूछा था। उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसे घटाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार पहले ही निजी अस्पतालों द्वारा इस्तेमाल नहीं किए गए टीके का उपयोग सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर कर रही है।
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मात्र 7-9 प्रतिशत टीके की खपत
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि निजी अस्पतालों में पिछले एक महीने में कोटा का मात्र 7 से 9 प्रतिशत टीके की खपत हुई है। उन्होंने बताया कि वैक्सीन उत्पादक कंपनियों को बताया गया है कि वे निजी अस्पतालों को उतने ही टीके दें, जितने की उन्हें आवश्यकता है। निजी अस्पतालों के लिए 25 प्रतिशत कोटा रखने की आवश्यकता नहीं है। बता दें कि देश की वैक्सीन उत्पादक कंपनियों से 75 प्रतिशत टीका केंद्र सरकार खरीदती है, जबकि 25 प्रतिशत निजी सेक्टर को दिए जाते हैं।