Govind Dev Giri Ji Maharaj: जय श्री राम बोल कर घर जाकर सो जाएंगे तो दोबारा दुष्टात्मा को सर पर सवार होने में देर नहीं लगेगी, रणजीत सावरकर की चेतावनी

रणजीत सावरकर ने बुधवार, 14 जनवरी को मुंबई के दादर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सभागार में आयोजित स्वामीजी के अमृत महोत्सव समारोह को संबोधित किया।

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Govind Dev Giri Ji Maharaj: “स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज (Swami Govind Dev Giri Ji Maharaj) ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर(Shri Ram Temple in Ayodhya) के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान कहा था कि श्रीराम मंदिर तो शुरुआत है, एक बार सफल होने के बाद आगे की राह मुश्किल नहीं होती। हालांकि यह शुरुआत है, रास्ता लंबा है। अभी बहुत बड़ी दूरी तय करनी है। हमारे सामने बड़ी चुनौतियां हैं। हमें कई लड़ाइयां लड़नी हैं। अगर हम केवल राम मंदिर की सफलता के कारण जय श्री राम(Jai Shri Ram) कहकर घर जाकर सो जाएंगे तो फिर से दुष्टात्माओं को सर पर सवार होने में देर नहीं लगेगी। तो हम क्या कर सकते हैं? एक राजा ने वही किया जो एक राजा को करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने वही किया है, जो एक प्रधानमंत्री को करना चाहिए। धर्माचार्यों ने वही किया जो उनको करना चाहिए।’ लेकिन लोगों को क्या करना चाहिए, उन्हें वही करना चाहिए जो संतों ने कहा है। उन राजाओं को सत्ता में लाना हमारा कर्तव्य है जो राज्य धर्म और राष्ट्र धर्म को जानते हैं और जब तक ऐसे राजा सत्ता में हैं, दुश्मन कुछ नहीं कर सकता।” हिंदुओं को यह चेतावनी स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष और वीर सावरकर के पोते रणजीत सावरकर ने दी।

रणजीत सावरकर बुधवार, 14 जनवरी को मुंबई के दादर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सभागार में आयोजित स्वामीजी के अमृत महोत्सव समारोह में बोल रहे थे। यह आयोजन स्वामीजी (गोविंद देव गिरी जी महाराज) के शानदार और दिव्य कार्य के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ और ‘हिंदू जनजागृति समिति’ द्वारा आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मंच पर विधान परिषद की उपाध्यक्ष विधायक नीलम गोर्हे, सुदर्शन टीवी चैनल के संपादक सुरेश चव्हाण, भाजपा विधायक एडवोकेट आशीष शेलार, सांसद राहुल शेवाले, विधायक व भाजपा प्रवक्ता अतुल भातखलकर और हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे उपस्थित थे।

“यदि हम राम राज्य लाना चाहते हैं तो हमें भगवान कृष्ण के मार्ग पर चलना चाहिए”
“स्वामी जी (गोविन्द देव गिरी जी महाराज) का वीर सावरकर पर बहुत बड़ा अध्ययन है। उनका कोई भी व्याख्यान या प्रवचन वीर सावरकर के विचारों को प्रस्तुत किये बिना समाप्त नहीं होता। वीर सावरकर के शब्दों में श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा के दिन स्वामी जी का जो भाषण मैंने सुना, उसका अर्थ यह है कि ”जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा!”  यदि हमें रामराज्य लाना है तो भगवान श्रीकृष्ण की नीति अपनानी होगी। मुझे विश्वास है कि आपके नेतृत्व में शीघ्र ही मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान मुक्त हो जाएगा और फिर भारत के भविष्य को उज्ज्वल होने से कोई नहीं रोक सकता। गुरु वशिष्ठ के बिना रामराज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। आज वहां गुरु वशिष्ठ की ही परम्परा के महाराज हैं। उनका मार्गदर्शन हम सभी को मिलता रहे।” रणजीत सावरकर ने कहा कि यह भगवान श्री रामचन्द्र से प्रार्थना है।

“स्वामी ने संन्यास ले लिया और राष्ट्रीय हित के कार्यों में जुट गए”
उनका मुख्य निहितार्थ अध्यात्म से राष्ट्रवाद की ओर बढ़ना है। मेरे दादाजी, स्वातंत्र्यवीर सावरकर के बड़े भाई बाबाराव सावरकर, स्वामी विवेकानन्द के विचारों से प्रभावित थे। बाबाराव ने संन्यास लेने की भी तैयारी कर ली थी ताकि वे स्वामी विवेकानन्द के विचारों को आत्मसात कर सकें और सीधे उनसे सीख सकें। वह उसके लिए निकले थे, लेकिन एक पल के लिए उन्हें लगा कि अगर मैं संन्यास ले लूंगा तो मुझे तो मोक्ष मिल जाएगा, लेकिन मेरे देश का क्या होगा? और उसी क्षण वे वापस आ गये। उन्होंने अपना विचार छोड़ दिया। लेकिन स्वामीजी (गोविंद देव गिरि जी महाराज) आपने संन्यास ले लिया है, फिर भी आपने राष्ट्रीय कार्य किया है। राष्ट्र के लिए आपने जो सबसे महान कार्य किया है, वह है श्री राम मंदिर निर्माण; क्योंकि राम हमारे राष्ट्र के प्राण हैं।” ये उद्गगार रणजीत सावकर ने व्यक्त किये।

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“यदि किसी धर्म को हथियार का सहारा न मिले तो वह पंगु हो जाता है”
रणजीत सावरकर ने आगे कहा, “जब राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण की घोषणा हुई तो स्वामी जी (गोविंद देव गिरी जी महाराज) ने कोषाध्यक्ष का कार्यभार संभाला। दुनिया भर से दान आ रहा था, उसका हिसाब-किताब करना और उसे पारदर्शी बनाए रखना बड़ी चुनौती थी, लेकिन स्वामी जी के मार्गदर्शन में सब कुछ बहुत अच्छे ढंग से किया जाता था। तीन-तीन, चार, चार-चार महीने तक बैंक पैसे नहीं ले रहे थे, इतना पैसा आ रहा था, लेकिन आपने सब कुछ बहुत पारदर्शी तरीके से, बिलकुल समय पर किया और ये राम मंदिर बनाया, जो हमें देखने को मिला, आपका उसमें विशेष योगदान है। मैं प्राण प्रतिष्ठान के उस क्षण का साक्षी बन रहा था। वहां 7-8 हजार लोग थे, सभी प्रसिद्ध और सफल लोग थे। ऐसे सफल लोग अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख सकते हैं। लेकिन जैसे ही हमने भगवान श्री राम का चेहरा देखा, एक भी आंख ऐसी नहीं थी, जिसमें आंसू न हो। ये प्रभु राम की शक्ति है। 500 वर्ष पहले राम आये थे, हम इसे देह में महसूस कर सकते हैं। फिर स्वामी जी, जब आप प्रथम भाषण के लिए उठे तो आपने कहा कि आज हमें राजधर्म का पालन करने वाला राजा मिला है। ऐसा राजा मिले तो ही देश आगे बढ़ता है। और उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की यादें ताजा कीं। उन्होंने कहा कि आज के प्रधानमंत्री शिवाजी महाराज के उस आदर्श पर चल रहे हैं कि एक राजा भगवान के सामने झुकता है। छत्रपति शिवाजी महाराज संन्यास लेना चाहते थे। उनके लिए मुक्ति सहज ही संभव थी; लेकिन उन्होंने देश के लिए अपनी मुक्ति को किनारे रख दिया और अपनी लड़ाई जारी रखी तथा अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। स्वामीजी ने हमें याद दिलाया कि हमें ऐसे लोगों की आवश्यकता है। रणजीत सावरकर ने यह भी कहा कि हमारे राष्ट्रपुरुष को राजधर्म का पालन करने वाला होना चाहिए, योग्य होना चाहिए और उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए कि यदि धर्म का समर्थन हथियारों द्वारा नहीं किया जाता है, तो धर्म पंगु हो जाता है, और यदि हथियारों पर धर्म का अंकुश नहीं है, तो हथियार पाश्विक हो जाते हैं।”

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