पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ में जल कलश यात्रा से बाबा का रुद्राभिषेक हुआ।
कलश यात्रा के आयोजन, विद्वान आचार्यों के वेद ऋचाओं के उदघोष, भक्तों के जयकारों, महिलाओं के मांगल गीतों, 11 मराठा रेजिमेंट की बैण्ड और स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों से मक्कूमठ सहित तुंगनाथ घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। जल कलश यात्रा के बाद विद्वान आचार्यों ने हवन कुंड में हजारों आहूतियां डालकर विश्व शान्ति व समृद्धि की कामना की। इसके साथ ही विशाल भण्डारा का आयोजन किया गया। सोमवार को पूर्णाहुति के साथ 11 दिवसीय महायज्ञ और शिव महापुराण कथा का समापन होगा।
रविवार को ब्रह्म बेला पर विद्वान आचार्यों ने पंचांग पूजन के तहत भगवान तुंगनाथ सहित 33 कोटी देवी- देवताओं का आवाह्न किया गया। ठीक दस बजे भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ से भक्त ढोल दमाऊं के साथ सेम नामक प्राकृतिक जल स्रोत के लिए रवाना हुई। सेम नामक प्राकृतिक जल स्रोत पहुंचने पर आचार्यों ने अनेक पूजाएं संपन्न कर हवन किया। 251 जल कलशों से सजी भव्य जल कलश यात्रा की आरती उतारी। निर्धारित समय पर जल कलश यात्रा महायज्ञ और कथा स्थल के लिए रवाना हुई तो हजारों भक्तों की जयकारों से सम्पूर्ण भूभाग गुंजायमान हो उठा। हजारों भक्तों ने पुष्प, अक्षत्रों, वैदिक मंत्रोच्चारण और महिलाओं ने मांगल गीतों से जल कलश यात्रा की अगुवाई की।
जल कलश यात्रा के सीढ़ीनुमा खेत खलिहानों के मध्य भूतनाथ मन्दिर पहुंचने पर हजारों भक्तों ने जल कलश यात्रा का जय मां गंगे के जयकारों से भव्य स्वागत किया। दोपहर 1.30 बजे जल कलश यात्रा के मर्कटेश्वर तीर्थ पहुंचने पर जल कलश यात्रा ने मुख्य मन्दिर सहित कथा व यज्ञ स्थल की परिक्रमा करने के बाद प्रधान जल कलश से भगवान तुंगनाथ व ब्यास पीठ का जलाभिषेक किया गया। शेष कलशों का जल भक्तों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया गया।
कथावाचक लम्बोदर प्रसाद मैठाणी ने जल कलश यात्रा की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि तीर्थ स्थलों में धार्मिक अनुष्ठान के दौरान निकलने वाली जल कलश यात्रा के दर्शन मात्र से मनुष्य के जन्म – जन्मान्तरों से लेकर युग- युगान्तरों के पापों का हरण हो जाता है। इस अवसर पर ऋर्षि भक्त मंडली में तुंगनाथ धाम के परम साधक ब्रह्मलीन किडिकबम की पुण्य स्मृति में विशाल भण्डारा का आयोजन किया गया।
गौरतलब है कि 18 वर्षों बाद मन्दिर समिति व ग्राम पंचायत मक्कू, पावजगपुडा के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित 11 दिवसीय महायज्ञ और महा शिवपुराण कथा के 10 वें दिन 251 जल कलशों से भव्य व दिव्य जल कलश यात्रा निकाली गई। इसमें 15 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने शामिल होकर पुण्य अर्जित किया।
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