Halal Ban: उत्तर प्रदेश में बंद हुआ हलाल, महाराष्ट्र करेगा कब ?

ये मामला कोर्ट में जाएगा तो कोर्ट उनसे एक ही सवाल पूछेगा कि 'कुरान में कहां लिखा है कि कॉस्मेटिक्स, बिल्डिंग, शेयर हलाल होने चाहिए ? और मुसलमान इसका जवाब नहीं दे पाएंगे। इसलिए मुसलमानों की हिम्मत नहीं है कि वे अदालत में जाएं।

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नित्यानंद भिसे
Halal Ban: 17 नवंबर 2023 को शैलेन्द्र शर्मा ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हजरतगंज थाने में हलाल (Halal) को लेकर शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने शिकायत की कि उन्हें हलाल प्रमाणित उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर किया गया। पुलिस ने इसका संज्ञान लिया और तुरंत मामला दर्ज कर लिया। इसके बाद मीडिया में इसकी जमकर चर्चा हुई। कुछ ही घंटों में योगी सरकार ने तत्काल सरकारी आदेश जारी करते हुए उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणित उत्पादों (Halal certified products) की बिक्री पर प्रतिबंध (ban on sales) लगाने का फैसला किया। दरअसल, हलाल के जरिए मुसलमानों की जो समानांतर अर्थव्यवस्था बनी है, उसके पीछे निर्यात एक अहम कारक है। 57 मुस्लिम देशों (57 Muslim countries) में निर्यात के लिए हलाल सर्टिफिकेशन अनिवार्य (Halal certification mandatory) कर दिया गया है। देश में कुल निर्यात का अधिकांश हिस्सा अकेले महाराष्ट्र (Maharashtra) के विभिन्न बंदरगाहों से निर्यात किया जाता है, इसलिए महाराष्ट्र में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता क्यों है, इसके बारे में हिंदू जनजागृति समिति (Hindu Janajagruti Samiti) एक विस्तृत बयान के माध्यम से पहले महाराष्ट्र सरकार को सूचित करेगी। इसके बाद सरकार को 15 दिन का समय दिया जाएगा। फिर भी अगर सरकार कोई फैसला नहीं लेती है तो वह इसके खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट जाएगी।

उत्तर प्रदेश में हलाल बैन का कितना फायदा?
उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से दर्ज मामले में एफएसएसएआई यानी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) एक्ट का उल्लंघन पाया गया। जिसमें इन अनुभागों में गलत तरीके से उत्पादों की ब्रांडिंग और विज्ञापन करना, हलाल लोगो का उपयोग करके उत्पादों को बढ़ावा देना, उपभोक्ताओं को धोखा देना आदि मामले शामिल हैं। हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के योगी सरकार के फैसले के बाद मुस्लिम मौलाना और मौलवी ने कहा कि वे इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट जाएंगे, लेकिन 15 दिन बाद भी वे कोर्ट नहीं गए। क्योंकि अगर ये मामला कोर्ट में जाएगा तो कोर्ट उनसे एक ही सवाल पूछेगा कि ‘कुरान में कहां लिखा है कि कॉस्मेटिक्स, बिल्डिंग, शेयर हलाल होने चाहिए ? और मुसलमान इसका जवाब नहीं दे पाएंगे। इसलिए मुसलमानों की हिम्मत नहीं है कि वे अदालत में जाएं। क्योंकि हलाल अर्थव्यवस्था का कोई इस्लामी आधार नहीं है। स्थानीय अदालत द्वारा काशी-विश्वनाथ में सर्वेक्षण का आदेश देने के एक दिन बाद ही मुसलमान सुप्रीम कोर्ट गए थे। लेकिन इस बार वह योगी सरकार के खिलाफ कोर्ट नहीं गए। क्योंकि उनका कारोबार बंद हो जाएगा। योगी सरकार के फैसले से उत्तर प्रदेश में सिर्फ हलाल उत्पादों की बिक्री पर रोक लगेगी, निर्यात पर नहीं। क्योंकि निर्माताओं को कारोबार बढ़ाने के लिए मुस्लिम देशों में निर्यात करने के लिए हलाल सर्टिफिकेशन लेना पड़ता है और जमीयत-उलेमा हिंद वह सर्टिफिकेशन दे रही है। इसलिए कंपनियां हलाल सर्टिफिकेशन के लिए जमीयत के पास जाएंगी। इसलिए योगी सरकार के फैसले से जमीयत को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। वर्तमान में केवल तीन संगठन जमीयत-उलेमा हिंद-हलाल ट्रस्ट, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया, जमीयत-उलेमा ए महाराष्ट्र आधिकारिक तौर पर हलाल प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं।

कानूनन कैसे साबित होगा हलाल ?
हलाल सर्टिफिकेट पाने के लिए कुछ मानदंड बताए गए हैं। यदि हम मांस का उदाहरण लेना चाहते हैं, तो कहा जाता है कि ‘ऐसे जानवर का मांस एक मुस्लिम द्वारा वध किया जाना चाहिए, वध के समय जानवर का सिर मक्का की ओर होना चाहिए, केवल श्वसन पथ, अन्नप्रणाली और वध करते समय जानवर की रक्त वाहिका को काट देना चाहिए और सारा रक्त बहने देना चाहिए और वध करते समय अल्लाह का नाम लेना चाहिए। दरअसल, सीधे तौर पर यह साबित किया जा सकता है कि कत्ल करने वाला मुस्लिम था, लेकिन सबूतों से यह साबित नहीं किया जा सकता कि अन्य मानदंडों का पालन किया गया था। इसलिए अगर इसे कानूनी चुनौती भी दी जाए तो भी यह टिक नहीं पाएगा। इसलिए, हलाल प्रमाणपत्र कानून के दायरे में टिकाऊ नहीं होगा।

हलाल के नाम पर धोखाधड़ी
बताया गया है कि मलेशिया में हलाल के नाम पर मुसलमानों को घोड़े और कंगारू का मांस बेचा जा रहा है। इस प्रकार जिन जानवरों का मांस कुरान में वर्जित है, उनका मांस मलेशिया जैसे मुस्लिम देशों में हलाल के रूप में बेचा जाता था। तो ऐसा लगता है कि हलाल के नाम पर धोखाधड़ी की जा रही है।

यूरोप में हलाल पर प्रतिबंध
2009 में न्यूजीलैंड की मैसी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता क्रेग जॉनसन ने अपने समूह के साथ एक प्रयोग किया। उनके शोध से पता चला है कि अगर किसी जानवर की गर्दन ‘हलाल’ पद्धति से काट दी जाए तो वह 10 से 30 सेकंड के भीतर चेतना खो देता है। तब उसके शरीर को झटका लगता है और कुछ हार्मोन स्रावित होते हैं, इसलिए उस मांस में होने वाले बदलावों से उस मांस को खाने से उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। इस शोध के आधार पर, अब डेनमार्क, नीदरलैंड, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम और इंग्लैंड सहित यूरोप के कई देशों में जानवरों की ‘हलाल’ बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

विवादित जमीयत-उलेमा-हिंद!
हलाल प्रमाणपत्र प्रदान करने वाली संस्था जमीयत-उलेमा हिंद ने 2028 तक 50 मिलियन प्रशिक्षित मुसलमानों की कमांडो फोर्स जुटाने का फैसला किया है। फिलहाल यह संगठन भारत में विभिन्न आतंकी गतिविधियों में पकड़े गए 700 आतंकियों का केस लड़ रहा है।

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