ज्ञानवापी पर न्यायालय के निर्णय का संतों ने स्वागत करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है। विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि ज्ञानवापी पर न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य कदम है। काशी विश्वनाथ की मुक्ति होनी ही चाहिए, यह हिंदू समाज का अधिकार है और उन्हें यह प्राप्त होना ही चाहिए। देश में अनगिनत ऐसे स्थान हैं जिसे विदेशी आक्रांताओं ने बलपूर्वक अपने शक्ति के द्वारा हिंदू समाज को अपमानित करने के लिए बलात रूप से अतिक्रमण कर लिया। आज स्थितियां बदल रही हैं। अब कानूनी तौर से इस पर हिंदुओं को अधिकार मिलना ही चाहिए। आखिर कब तक या देश गुलामी के प्रतीक चिन्हों को अपने कंधे पर ढोता रहेगा?
राम लला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जो कोर्ट ने आदेश दिया है, वह एक और विजय का मार्ग प्रशस्त करेगा। कोर्ट ने सारे सूबतों को समझकर ही मुस्लिम पक्ष की दलील खारिज की है। सबूतों के आधार पर जल्द ही काशी के मामले का भी समाधान हो जाएगा, हिंदू पक्ष की ही जीत होगी।
ये भी पढ़ें – दुबई में भव्य हिंदू मंदिर का निर्माण, देखने को उमड़े लोग
मौलिक सिद्धांतों की जीत
राम बल्लभाकुंज के अधिकारी संत राज कुमार दास ने आदेश को हिंदू जनआस्था के मौलिक सिद्धांतों की जीत बताया। उन्होंने कहा कि जन-आस्थाओं को तोड़कर बर्बरतापूर्वक मुगलों द्वारा साम्राज्य स्थापित किया गया। उसकी पुर्नस्थापना का समय अब आ गया है। कोर्ट धन्यवाद का पात्र है। इसके लिए समस्त सनातनधर्मियों को कोर्ट के प्रति सम्मान व आदरभाव प्रकट करना चाहिए।
सुनवाई पर आपत्ति नहीं
बाबरी मस्जिद के मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि कोर्ट में सुनवाई होती ही है। कोर्ट ने सुनवाई का फैसला किया है, इस पर एतराज होना ही नहीं चाहिए। हम हिंदुस्तान के वासी हैं, यहां का संविधान मानते हैं, जो भी निर्णय आएगा उसी को मानेंगे। बाकी ऊपरी अदालत में जाने का भी रास्ता खुला है। यह भी अधिकारी संविधान से मिला है।
साधु-संतो में प्रसन्नता
दशरथ महल के महंत बिन्दुघ्याचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य ने कहा कि निर्णय से देश के साधु-संतों में प्रसन्नता है। मुस्लिम आक्रांताओं के द्वारा हिंदुओं की जन-आस्था को विखंडित किया गया। उसके पुनरुत्थान का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि मुगलों की परंपराओं का समापन होना चाहिए और राष्ट्रीय परंपरा की स्थापना होनी चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद के साकेत विभाग मंत्री धीरेश्वर ने कहा कि देश की समृद्ध सांस्कृतिक व धार्मिक परंपरा को नष्ट करने का प्रयास मुगल आंक्रांताओं द्वारा किया गया। मुगल काल में बहुत से मंदिर तोड़े गए, उनकी जगह मस्जिदें तामीर कराई गईं। पुरातन सांस्कृतिक विरासत के पुनरोद्धार का समय आ गया है। अयोध्या के बाद अब काशी व मथुरा भी मुक्त होने जा रही है।
Join Our WhatsApp Community