मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने की बड़ी मुहिम

मंदिरों की सुरक्षा, समन्वय, संगठन, संपर्क तंत्र एवं मंदिरों को सनातन धर्म प्रचार केंद्र बनाना, इस हेतु कार्य करने का संकल्प किया गया।

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मंदिर की देखभाल करना, उसका संरक्षण करना, उसका संवर्धन करना, प्रत्येक हिन्दू का धार्मिक कर्तव्य है। इसी उद्देश्य से दो दिवसीय ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास परिषद’ का आयोजन किया गया, जिसमें 300 से भी अधिक मंदिरों के न्यासी, पुरोहित, पुजारी, लेखा परीक्षक एवं अधिवक्ता एकत्रित हुए।

महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की स्थापना
इस परिषद में मंदिर अभियान चलाने हेतु ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की स्थापना की गई। यह घोषणा हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ संगठक सुनील घनवट ने पद्मालय विश्राम गृह में आयोजित पत्रकार परिषद में की। इस अवसर पर महाराष्ट्र एवं गोवा बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता भारत देशमुख, सतपुड़ा निवासी मनुदेवी सेवा प्रतिष्ठान सचिव नीलकंठ चौधरी, जलगांव ग्राम देवता श्रीराम मंदिर के श्रीराम जोशी महाराज तथा हिन्दू जनजागृति समिति के जलगांव समन्वयक प्रशांत जुवेकर उपस्थित थे।

मंदिरों पर हो रहे आघात को होगा रोकना
इसमें मंदिरों की सुरक्षा, समन्वय, संगठन, संपर्क तंत्र एवं मंदिरों को सनातन धर्म प्रचार केंद्र बनाना, इस हेतु कार्य करने का संकल्प किया गया। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के माध्यम से मंदिरों पर हो रहे सभी प्रकार के आघात रोकने और उनकी समस्याएं दूर करने हेतु संगठित रूप से प्रयत्न किए जाएंगे। मंदिरों का सरकारीकरण न होने देना, मंदिरों की प्रथा-परंपरा, धार्मिक कृत्य, शास्त्रीय पद्धति से होने हेतु आग्रह करना, मंदिरों में किसी भी प्रकार का शासकीय-प्रशासकीय हस्तक्षेप न होने देना, ऐसी भूमिका ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की स्थापना के समय निश्चित की गई।

ये प्रस्ताव पारित
1. महाराष्ट्र सरकार सरकारीकरण किए मंदिरों को मुक्त कर न्यायालय के आदेश का पालन करे।
2. राज्य सरकार मंदिरों की संपत्ति विकास कार्यों के लिए उपयोग नहीं करेगी, ऐसी घोषणा करे।
3. पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण, परंतु प्रशासन, पुरातत्व विभाग द्वारा उपेक्षित मंदिरों का तत्काल जीर्णोद्धार करने हेतु अर्थ संकल्प में भारी प्रावधान किया जाए।
4. राज्य के तीर्थ क्षेत्र, दुर्ग, किले, मंदिर इन पर हो रहे इस्लामी तथा अन्य अतिक्रमणों का सर्वेक्षण कर उन्हें तत्काल हटाया जाए।
5. मंदिरों के पुजारी वर्ग की आय नगण्य होने के कारण सरकार उन्हें प्रतिमाह मानदेय दे।
6. मंदिर, तीर्थ क्षेत्र, इनकी पवित्रता की रक्षा हेतु उनके परिसर में मद्य-मांस की बिक्री नहीं की जा सकती, ऐसी अधिसूचना शासन जारी करे।
7. राज्य के ‘क’ वर्ग के उपयुक्त कागज पत्र उपलब्ध रहने वाले मंदिरों को तत्काल ‘ब’ वर्ग में वर्गीकृत किया जाए।
8. मंदिरों को सामाजिक कारणों के लिए दान देने हेतु धर्मादाय आयुक्त की ओर से आज्ञापत्र ना भेजे जाएं।
9. मंदिरों की धनराशि प्रधानता से धार्मिक कार्य के लिए ही उपयोग में लाई जाए, इसके लिए शासन आदेश जारी करे।

मुख्यमंत्री-उप मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा प्रस्ताव
ये प्रस्ताव ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की ओर से महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा उप मुख्यमंत्री एवं विधि एवं न्याय मंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलकर दिए जाएंगे। इन प्रस्तावों के साथ ही ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के माध्यम से प्रत्यक्ष कार्य करने हेतु आगे की कार्य योजना भी निर्धारित की गई है, ऐसी जानकारी घनवट ने दी।

इन मंदिरों के प्रतिनिधि रहे उपस्थित
इस मंदिर परिषद में श्रीक्षेत्र भीमाशंकर देवस्थान (पुणे), श्रीक्षेत्र घृष्णेश्वर देवस्थान (वेरुल, संभाजीनगर),अष्टविनायक मंदिर ट्रस्ट, श्री तुलजापूर देवस्थान पुजारी मंडल, श्री काळाराम मंदिर (नाशिक), श्री लक्ष्मण मंदिर (पंचवटी, नाशिक), श्री रेणुकामाता मंदिर (माहूर), श्री कानिफनाथ देवस्थान (गुहा), श्री गणपति मंदिर देवस्थान मंडल (पद्मालय, जळगांव), श्रीराम मंदिर (जळगांव), श्री मंगलग्रह सेवा संस्थान (अमलनेर), अखिल भारतीय पद्मशाली पुरोहित संघ, सातपुडा निवासिनी श्री मनुदेवी सेवा प्रतिष्ठान, बालाजी मंदिर (पारोला) नवकार जैन टेम्पल ट्रस्ट, श्री बालाजी महाराज संस्थान (देऊजगांव राजा) सहित महाराष्ट्र के विभिन्न मंदिरों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

ये मान्यवर भी रहे मौजूद
काशी स्थित ‘ज्ञानवापी’ की मुक्ति हेतु संघर्ष करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, जैन इरिगेशन के तथा पद्मालय मंदिर के अध्यक्ष अशोक जैन, सनातन संस्था के धर्मप्रसारक सदगुरु नंदकुमार जाधवजी, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस तथा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे सहित अन्य मान्यवर मौजूद थे।

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