Hindutva: ‘मैं युवावस्था से ही हिंदुत्व का काम कर रहा हूं। इस काम में मेरी मां ने मेरा साथ दिया। उन्होंने मुझे हमेशा हिंदुत्व का काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्हीं की वजह से मेरे मन में हिंदू धर्म के प्रति विशेष लगाव हुआ है। मेरे पिता हमेशा दूसरों की मदद करते थे। यह मेरे पिता की वजह से ही है कि मुझे समस्याओं में फंसे हुए लोगों की मदद करने और उनकी राह आसान बनाने के लिए पूरी भावना के साथ दूसरों की मदद करने की आदत हो गई। मैं अपने माता-पिता के संस्कार के साथ बड़ा हुआ और अब जब मैं सेवानिवृत्त हो गया हूं, तो मैं उसी संस्कृति के साथ अपना जीवन जी रहा हूं। मैं नौकरी करते हुए भी हिंदुत्व के लिए काम कर रहा था और अब सेवानिवृत्त हो गया हूं, इसलिए समय की उपलब्धता है। अब से हिंदुत्व मेरा जुनून और सांस होगी।’ स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यवाहक राजेंद्र वराडकर ने ‘हिन्दुस्थान पोस्ट’ के संवाददाता से बातचीत में अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
हिंदुत्व जागरण के लिए तत्पर
राजेंद्र वराडकर स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचारों को बढ़ावा देने और फैलाने के लिए लगन से काम कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की समाज का हर वर्ग और हिंदुत्व के लिए काम करने वाले संगठन स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचारों को समझें और नई पीढ़ी वीर सावरकर के इरादे वाले राष्ट्र के निर्माण के लिए आगे आएं। इसके लिए राजेंद्र वराडकर हमेशा प्रयासरत रहते हैं। राजेंद्र वराडकर पिछले 36 वर्षों से भारतीय रेलवे में सेवारत थे। साथ ही वह 40 साल से लगातार हिंदुत्व का काम कर रहे हैं। राजेंद्र वराडकर शुक्रवार 31 मई को भारतीय रेलवे से सेवानिवृत्त हुए, दिलचस्प बात यह है कि इसी दिन राजेंद्र वराडकर ने 60 साल पूरे किए और 61 साल की उम्र में अपना कदम रखा। कार्यालय स्टाफ व सहकर्मियों ने फेटा बांधकर व माला पहनाकर उनका अभिनंदन किया। कार्यालय के मुख्य द्वार तक जुलूस निकाला गया। कार्यस्थल पर मिले प्यार को लेकर वराडकर ने एक ओर जहां स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक को हिंदुत्व की जन्मस्थली माना, वहीं पदाधिकारियों, सहयोगियों और कर्मचारियों ने भी उनका जन्मदिन उत्साहपूर्वक मनाया। उन्होंने वराडकर से हिंदुत्व के लिए आगे भी काम जारी रखने का अनुरोध किया।
अब हिंदुत्व का काम जुनून के साथ किया जाएगाः वराडकार
‘जब मैं काम करता था तब भी मैं हिंदुत्व का काम करता था। इसके लिए मैं हमेशा सक्रिय रहता था। हालांकि कई बार मैं खुलकर सामने नहीं आ पाता था, लेकिन अब जब मैं सेवानिवृत्त हो गया हूं तो मुझ पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसलिए मुझे संतुष्टि है कि मैं आगे से खुलकर हिंदुत्व का काम करूंगा। मैं हिंदुत्व के काम के प्रति, स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचारों के प्रचार-प्रसार के काम के प्रति उतना ही ईमानदार रहा हूं, जितना कार्यस्थल पर ईमानदार रहा हूं। हिंदुत्व का कार्य करते समय मैंने कभी भी श्रेय की अपेक्षा नहीं की और न ही किये गये कार्य का महिमामंडन किया। यह गुण मुझे अपने पिता से विरासत में मिला है। मेरे पिता ने कई लोगों को नौकरी पर रखा था, वह हर किसी की मदद करते थे, अगर कोई मुसीबत में होता तो वह उसकी मदद करते थे। उनकी ही तरह मैं भी सदैव फंसे हुए लोगों की सहायता करता हूं, यही मेरा स्थायी भाव है। उद्देश्य सिर्फ इतना है कि जो मुसीबत में है, वह इससे बाहर निकले और उसकी राह आसान हो, लेकिन उसके लिए मैंने कभी भी अपने द्वारा की गई मदद का जिक्र नहीं किया। कई महान कार्य पर्दे के पीछे रहकर किये गये।’ राजेंद्र वराडकर ने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक हिंदुत्व के लिए काम करेंगे। इस काम के लिए उन्हें जो भी समय मिलेगा, देंगे, एकमात्र समस्या यह होगी कि हाल ही में हुई हार्ट सर्जरी के कारण कुछ शारीरिक सीमाएं होंगी, लेकिन उत्साह बना रहेगा।