अवैध धर्मांतरण के प्रकरण में उत्तर प्रदेश एटीएस को बड़ी जानकारी मिली है। इसमें 100 करोड़ रुपए की फंडिंग और आतंकी संगठन के शामिल होने की जानकारी भी है। इसमें अब तक 16 आरोपी गिरफ्तार किये जा चुके हैं।
भारत में हिंदुओं की सामाजिक संरचना को तहस नहस करने की चाल 16 इस्लामी जिहादी कर रहे थे। इसमें से दो ऐसे हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन अलकायदा से भी संपर्क किया था। इसकी जांच कर रही यूपी एटीएस को इस प्रकरण में मौलाना उमर गौतम और जहांगीर आलम से चौंकानेवाली जानकारी प्राप्त हुई है।
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विदेशी फंडिंग, हवाला रैकेट की मदद
यूपी एटीएस के सूत्रों के अनुसार गुजरात से संचालित होनेवाले हवाला रैकेट की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसके माध्यम से ही अमेरिका, लंदन और खाड़ी के देशों से पैसे आ रहे थे। इन माध्यमों की जांच में 100 करोड़ रुपए की फंडिंग की जानकारी भी सामने आई है।
किसको मिला कितना फंड
- जांच में पता चला है कि पिछले 5 वर्षों में मौलाना उमर गौतम की संस्था इस्लामिक दावाह सेंटर और फातिमा चैरिटेबल ट्रस्ट को 30 करोड़ रुपए की फंडिंग विदेशी संस्थाओं के द्वारा की गई थी। इन पैसों में से 60 प्रतिशत धन का उपयोग धर्मांतरण के लिए किया गया था।
- इसके अलावा वडोदरा के सलाहुद्दीन नामक शख्स की संस्था अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम ऑफ इंडियन ओरिजिन को भी 28 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे, जिसे संस्था ने मौलाना उमर गौतम को दिया था।
- आरोपी कलीम की संस्था अल हसन एजुकेशनल सोसायटी को 22 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं। यह धन दुबई, तुर्की और अमेरिका से भेजा गया था।
- महाराष्ट्र के प्रसाद कावड़े उर्फ एडम को ब्रिटेन की संस्था से 57 करोड़ रुपए मिले थे।
ये थे निशाने पर
अवैध धर्मांतरण के लिए जिन 16 लोगों को पकड़ा गया है, उनके निशाने पर गरीब, महिला और दिव्यांग थे। इन लोगों को प्रलोभन देकर फंसाया जा रहा था। इसके माध्यम से इनका धर्म परिवर्तन किया जाता था। अब तक 5000 लोगों के धर्मांतरण की बाद मौलाना उमर से पता चली है।
ऐसे बनाया अंतरराष्ट्रीय गिरोह
अवैध धर्मांतरण के लिए समर्थन और फंडिंग जुटाने के लिए उमर गौतम और जहांगीर आलम ने अंतरराष्ट्रीय गिरोह खड़ा किया था। जिसमें आतंकी संगठन अलकायदा से संबंधित लोगों की जानकारी प्राप्त हुई है। महाराष्ट्र में उमर गौतम के सिंडिकेट को संचालित करने का कार्य भूप्रिय बिंदो, कौसर आलम, फराज शाह और प्रसाद कावरे की मुख्य भूमिका है।