जानिये, प्रधानमंत्री मोदी के “मन की बात”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कहा कि बीते कुछ दिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण चिंता और परेशानी से भरे रहे हैं।

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 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 जुलाई को रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बारिश और उससे उत्पन्न प्राकृतिक आपदा का उल्लेख किया और कहा कि इनके बीच हम सभी देशवासी एक बार फिर सामूहिक प्रयास की शक्ति को सामने लेकर आए हैं।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कुछ दिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण चिंता और परेशानी से भरे रहे हैं। स्थानीय लोगों, एनडीआरएफ के जवानों और स्थानीय प्रशासन के साथ दिन-रात की मेहनत से हम इन आपदाओं का मुकाबला कर पाए हैं।

खास बातेंः
-स्थानीय लोगों ने, हमारे NDRF के जवानों ने, स्थानीय प्रशासन के लोगों ने, दिन-रात लगाकर ऐसी आपदाओं का मुकाबला किया है। किसी भी आपदा से निपटने में हमारे सामर्थ्य और संसाधनों की भूमिका बड़ी होती है – लेकिन इसके साथ ही, हमारी संवेदनशीलता और एक दूसरे का हाथ थामने की भावना, उतनी ही अहम होती है। सर्वजन हिताय की यही भावना भारत की पहचान भी है और भारत की ताकत भी है।

-बारिश का यही समय ‘वृक्षारोपण’ और ‘जल संरक्षण’ के लिए भी उतना ही जरुरी होता है। आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान बने 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों में भी रौनक बढ़ गई है। अभी 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों को बनाने का काम चल भी रहा है। हमारे देशवासी पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ ‘जल संरक्षण’ के लिए नए-नए प्रयास कर रहे हैं।

-आपको याद होगा, कुछ समय पहले, मैं, एम.पी. के शहडोल गया था। वहां मेरी मुलाकात पकरिया गांव के आदिवासी भाई-बहनों से हुई थी। वहीं पर मेरी उनसे प्रकृति और पानी को बचाने के लिए भी चर्चा हुई थी। अभी मुझे पता चला है कि पकरिया गांव के आदिवासी भाई-बहनों ने इसे लेकर काम भी शुरू कर दिया है। यहां, प्रशासन की मदद से, लोगों ने, करीब सौ कुओं को Water Recharge System में बदल दिया है। बारिश का पानी, अब इन कुओं में जाता है, और कुओं से ये पानी, जमीन के अंदर चला जाता है। इससे इलाके में भू-जल स्तर भी धीरे-धीरे सुधरेगा। अब सभी गाँव वालों ने पूरे क्षेत्र के करीब-करीब 800 कुएं को recharge के लिए उपयोग में लाने का लक्ष्य बनाया है।

– एक उत्साहवर्धक खबर यू.पी. से आई है। कुछ दिन पहले, उत्तर प्रदेश में, एक दिन में, 30 करोड़ पेड़ लगाने का रिकॉर्ड बनाया गया है। इस अभियान की शुरुआत राज्य सरकार ने की, उसे, पूरा, वहाँ के लोगों ने किया। ऐसे प्रयास जन-भागीदारी के साथ-साथ जन-जागरण के भी बड़े उदाहरण हैं। मैं चाहूँगा कि, हम सब भी, पेड़ लगाने और पानी बचाने के इन प्रयासों का हिस्सा बनें।

– इस समय ‘सावन’ का पवित्र महीना चल रहा है। सदाशिव महादेव की साधना-आराधना के साथ ही ‘सावन’ हरियाली और खुशियों से जुड़ा होता है। इसीलिए, ‘सावन’ का आध्यात्मिक के साथ ही सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व रहा है। सावन के झूले, सावन की मेहँदी, सावन के उत्सव – यानि ‘सावन’ का मतलब ही आनंद और उल्लास होता है।

– हमारी इस आस्था और इन परम्पराओं का एक पक्ष और भी है। हमारे ये पर्व और परम्पराएं हमें गतिशील बनाते हैं। सावन में शिव आराधना के लिए कितने ही भक्त काँवड़ यात्रा पर निकलते हैं। ‘सावन’ की वजह से इन दिनों 12 ज्योतिर्लिंगों में भी खूब श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

-आपको’ ये जानकार भी अच्छा लगेगा कि बनारस पहुंचने वाले लोगों की संख्या भी record तोड़ रही है। अब काशी में हर साल 10 करोड़ से भी ज्यादा पर्यटक पहुँच रहे हैं।  अयोध्या, मथुरा, उज्जैन जैसे तीर्थों पर आने वाले श्रद्दालुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।

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