India-Maldives Dispute: लक्षदीप में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने खोली शाखा, स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों को होगा लाभ

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है। इस कारण वे भारत विरोधी कदम उठाने के लिए मजबूर समझे जाते हैं। इस कारण विवाद को शांत करने की बजाय मालदीव ने इसे और बढ़ा दिया।

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India-Maldives Dispute: भारत और मालदीव के बीच जारी विवादों के बीच देश के सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंकों में से एक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने लक्षद्वीप के अगत्ती द्वीप में एक शाखा का शुभारंभ किया है। यह लक्षद्वीप में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की पहली शाखा है। बैंक की नयी शाखा का उद्घाटन यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की प्रबंध निदेशक एवं सीईओ ए. मणिमेखलै के हाथों किया गया।

बैंक की इस शाखा में बचत और चालू खाते, ऋण उत्पाद से लेकर धन प्रबंधन, बीमा के साथ-साथ एटीएम और सीडीएम आदि सेवाएं दी जाएंगी। समझा जा रहा है कि यह बैंक स्थानीय लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित होगा। साथ ही यहां आने वाले घरेलू पर्यटकों के लिए भी काफी लाभदायक साबित होगा।

मालदीव का बहिष्कार
फिलहाल मालदीव को अपने पर्यटन आय के सबसे बड़े स्रोतों में से एक से बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि जनवरी 2024 में उसके तीन मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मज़ाक उड़ाया था, जिसके बाद भारतीय नागरिकों और मशहूर हस्तियों ने मालदीव छोड़कर घरेलू समुद्र तटों पर जाने का आह्वान किया था।

यहां से शुरू हुआ विवाद
दरअस्ल विवाद तब शुरू हुआ, जब मोदी ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर केरल के तट से दूर लक्षद्वीप में एक दक्षिणी भारतीय द्वीप श्रृंखला में स्नोर्कलिंग और समुद्र तट पर टहलते हुए अपनी तस्वीरें पोस्ट कीं। मोदी ने अपनी पोस्ट में भारत के खूबसूरत पड़ोसी मालदीव का जिक्र नहीं किया, लेकिन द्वीपसमूह के इन खूबसूरत नजारों की उनकी प्रशंसा को मालदीव के बजाय वहां छुट्टियां मनाने के लिए लोगों को आकर्षित करने के लिए एक आकर्षण के रूप में देखा जा सकता है।

मालदीव के तीन मंत्रियों ने उड़ाया था मजाक
मालदीव के तीन मंत्रियों ने उनकी पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए मोदी को “जोकर”, “आतंकवादी” और “इज़राइल की कठपुतली” बताने का दुसाहस किया। हालांकि मालदीव सरकार ने उनकी टिप्पणियों से खुद को दूर करने के लिए तुरंत कदम उठाया और युवा रोजगार, सूचना और कला मंत्रालय के तीनों उप मंत्रियों को निलंबित कर दिया था।

मालदीव सरकार ने दिया था स्पष्टीकरण
एक बयान में, मालदीव सरकार ने कहा कि वह सोशल मीडिया पर की गई “अपमानजनक” टिप्पणियों से अवगत थी, लेकिन जोर देकर कहा कि राय व्यक्तिगत हैं और उसके विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं। सरकार का मानना ​​था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग लोकतांत्रिक और जिम्मेदाराना तरीके से किया जाना चाहिए, और इस तरह से किया जाना चाहिए, जिससे नफरत, नकारात्मकता न फैले और मालदीव और उसके अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के बीच घनिष्ठ संबंधों में बाधा न आए।

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चीन के चंगुल में मालदीव
दरअस्ल राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है। इस कारण वे भारत विरोधी कदम उठाने के लिए मजबूर समझे जाते हैं। इस कारण विवाद को शांत करने की बजाय मालदीव ने इसे और बढ़ा दिया। इस कारण मालदीव में तैनात 90 भारतीय सैनिकों को 14 मई को भारत बुला लिया गया है। भारत ने मालदीव से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने देश से सभी भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने के लिए 10 मई की समयसीमा निर्धारित की थी। इनके बदले में अब वहां अब भारतीय तकनीकी कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है।

मालदीव को भारी नुकसान
बता दें भारत किस तरह पर्यटन के ज़रिए मालदीव की अर्थव्यवस्था में योगदान देता है। प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बारे में मालदीव के राजनेताओं द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियों ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीयों के लिए पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में मालदीव का बहिष्कार करने की व्यापक मांग उठने लगी। अपमानजनक पदों के लिए तीन मंत्रियों को निलंबित किए जाने के बावजूद, ऐसा लगता है कि मालदीव को नुकसान हो चुका है, जो आर्थिक जीविका के लिए अपने पर्यटन क्षेत्र पर बहुत ज़्यादा निर्भर करता है।

https://youtu.be/L_pEF1VMA3s?si=lDvtK9y-OLsbAYAm

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