गैर सरकारी संस्थाओं की पीर, विदेशी फंड पर सरकारी तीर

केंद्र सरकार ने गैर सरकारी संस्थाओं के विदेशी चंदों को नियंत्रित करने के लिए सितंबर 2020 में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) में एक अमेडमेंट ले आई। जिस पर राज्यसभा ने 23 सितंबर 2020 को मुहर लगा दी। इस कानून को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 2020 यानी एफसीआरए कानून कहा जाता है।

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भारत में लगभग 31 लाख गैर सरकारी संस्थाएं कार्यरत थीं। जिनमें से बड़ी संख्या में संस्थाएं सरकारी अनुदान और विदेश अंशदान पर निर्भर थीं। लेकिन इन संस्थाओं में से मात्र 10 प्रतिशत संस्थाएं ही विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के अनुसार अपना लेखाजोखा सरकार से साझा करती हैं जिसके कारण विदेशी फंड के भरोसे भारत में कार्य करनेवाली गैर सरकारी संस्थाओं पर सरकारी तीर चला और उनकी पीर बढ़ गई है। कई संस्थाएं अब सिसकने लगी हैं तो एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्था ने तो अपना कार्य ही भारत में बंद कर दिया।

फंड का फंडा, एमनेस्टी पर डंडा

विदेशी फंडिंग पर सरकारी लगाम
केंद्र सरकार ने गैर सरकारी संस्थाओं के विदेशी चंदों को नियंत्रित करने के लिए सितंबर 2020 में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) में एक अमेडमेंट ले आई। जिस पर राज्यसभा ने 23 सितंबर 2020 को मुहर लगा दी। इस कानून को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 2020 यानी एफसीआरए कानून कहा जाता है।

इस कानून में क्या है?
* विदेशों से मिलने वाले फंड पर नियंत्रण
* विदेशी फंड देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल नहा हो सकेगा
* गैर-सरकारी संस्था (एनजीओ) प्रशासनिक कार्यों में 20% ही कर पाएगी खर्च
* पहले 50% विदेशी फंड का होता था इस्तेमाल
* अब एक एनजीओ की ग्रांट अन्य एनजीओ शेयर नहीं कर सकेंगे।
* एनजीओ विदेशी फंड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, नई दिल्ली की ब्रांच में ही रिसीव कर सकेंगे

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सरकार का पक्ष
* केंद्र सरकार का कहना है कि इस कानून से विदेशी फंड होगा रेगुलेट
* फंड किसी भी सूरत में देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल ना हो सके

संस्थाओं का निकला दम
* वर्ष 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 6 संस्थाओं के लाइसेंस रदद् किये
* इनमें से 4 ईसाई संगठन हैं।
* इनमें से कई संगठनों के दानकर्ताओं को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई थी।
* वर्ष 2016 में भी एफसीआरए के उल्लंघन में लगभग 20 हजार गैर-सरकारी संस्थाओं के लाइसेंस रद्द

वर्तमान स्थिति
* देश में 22,457 गैर सरकारी संस्था एफसीआरए के तहत पंजीकृत
* वर्ष 2012 से अब तक 20,674 संस्थाओं का लाइसेंस रद्द
* 6,702 संस्थाओं के लाइसेंस नवीनीकरण के अभाव में समाप्त

निरस्त संस्थाएं और पृष्ठभूमि
* एक्रियोसोकुलिस नॉर्थ वेस्टर्न गॉसनर इवैंजेलिकल – झारखंड
* एवैंजेलिकल चर्चेस एसोसिएशन – मणिपुर (वर्ष 1952 में स्थापित, यह एक वेल्श प्रेस्बिटेरियन मिशनरी से संबंधित है, जिसने 1910 में भारत का दौरा किया था। )
* नॉर्दर्न इवैंजेलिकल लूथरन चर्च – झारखंड (वर्ष 1987 में स्थापित, यह लूथरन परंपरा पर आधारित विश्व के 99 देशों में फैले 148 चर्चों के समूह का हिस्सा है।)
* न्यू लाइफ फैलोशिप एसोसिएशन – मुंबई (वर्ष 1964 में न्यूजीलैंड के न्यू लाइफ चर्च से मिशनरियों के आगमन के बाद इस संस्था ने भारत में 1960 के दशक में कार्य करना प्रारंभ किया।)
* गृह मंत्रालय द्वारा ‘राजनंदगाँव लेप्रोसी हॉस्पिटल एंड क्लीनिक’ और
* ‘डॉन बॉस्को ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी’ नामक दो अन्य गैर सरकारी संस्थाओं के एफसीआरए लाइसेंस रद्द

एफसीआरए लाइसेंस निरस्तीकरण से जुड़े पूर्व मामले:
* वर्ष 2017 में गृह मंत्रालय द्वारा अमेरिका के ‘कंपेशन इंटरनेशनल’ नामक गैर सरकारी संस्था को धार्मांतरण को बढ़ावा देने से संबंधित गतिविधियों में शामिल पाए जाने के बाद संस्था को भारत में अपनी कार्यक्रमों को बंद करना पड़ा था। तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव के अनुसार, ‘कंपेशन इंटरनेशनल’ द्वारा एफसीआरए के दिशा निर्देशों का सही रूप से पालन नहीं किया जा रहा था।

* वर्ष 2017 में ही ‘ब्लूमबर्ग फिलांथ्रॉपीज’ नामक अमेरिकी धर्मार्थ संगठन से अनुदान प्राप्त करने वाले दो अन्य गैर सरकारी संस्थाओं के एफसीआरए लाइसेंस के नवीनीकरण के आवेदन को रद्द कर दिया गया। यह न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर और अरबपति माइकल ब्लूमबर्ग द्वारा स्थापित एक धर्मार्थ संस्थान है।
* नवंबर 2019 में न्यू लाइफ फेलोशिप असोशिएशन (एनएलएफए) पर धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगा और इस संदर्भ में पुलिस शिकायत भी दायर की थी। गृह मंत्रालय से उपलब्ध जानकारी के आंकड़ों के अनुसार, 10 फरवरी 2020 को एनएलएफए का लाइसेंस रद्द कर दिया गया।

 

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