हमारी संस्कृतियों और परंपराओं को एक सूत्र में बांधता है भारतीय डाक – राष्ट्रपति

भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों की भूमिका इस देश के लोगों की सेवा करने के इर्द-गिर्द घूमती है और इसलिए ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि त्वरित संदेश और सोशल मीडिया के युग में डाक विभाग को प्रासंगिक बने रहने के लिए विकसित होना होगा। 

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भारतीय डाक सेवा (2021 और 2022 बैच) के प्रशिक्षु अधिकारियों ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि डाक विभाग, अपनी 160 वर्ष  की उल्लेखनीय यात्रा के साथ, राष्ट्र की सेवा के प्रतीक के रूप में खड़ा है। लगभग 1,60,000 डाकघरों के व्यापक नेटवर्क के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है। उन्होंने कहा कि भारतीय डाक नेटवर्क एक एकीकृत सूत्र के रूप में कार्य करता है, जो हमारी संस्कृतियों और परंपराओं की विशाल श्रृंखला को एक सूत्र में बांधता है।

राष्ट्रपति ने वित्तीय समावेशन में डाक विभाग की भूमिका की सराहना की। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि विभाग ने वित्तीय अंतर को कम करने और उपेक्षित समुदायों को सशक्त बनाने के लिए रणनीतिक पहल की है। उन्होंने कहा कि डाक विभाग ने सरकारी सब्सिडी, कल्याण भुगतान और पेंशन के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि डाकघरों के माध्यम से धन के निर्बाध वितरण से बिचौलियों पर निर्भरता कम हुई है और लीकेज भी कम हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों की भूमिका इस देश के लोगों की सेवा करने के इर्द-गिर्द घूमती है और इसलिए ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि त्वरित संदेश और सोशल मीडिया के युग में डाक विभाग को प्रासंगिक बने रहने के लिए विकसित होना होगा। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि विभाग डिजिटल परिदृश्य के अनुकूल अपनी सेवाओं को सक्रिय रूप से आधुनिक बना रहा है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी यात्रा में युवा प्रोबेशनरों के नए-नए विचार बहुमूल्‍य होंगे।

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