ब्रिटेन के सैलिसबरी मैदान में भारत के साथ संयुक्त-सैन्य अभ्यास ‘अजेय वॉरियर-23’ 11 मई को सम्पन्न हो गया। 15 दिन तक चले इस संयुक्त सैन्य अभ्यास के समापन समारोह में भारतीय जवानों ने ‘भारत माता की जय-बजरंग बली की जय’ के जयकारे से समां बांध दिया। इस अभ्यास में यूनाइटेड किंगडम से सेकेंड रॉयल गोरखा राइफल्स और भारतीय सेना की बिहार रेजिमेंट के सैनिकों ने हिस्सा लिया। यह युद्धाभ्यास भारतीय और ब्रिटिश सेना के बीच रक्षा सहयोग में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक बढ़ावा देगा।
#WATCH | Indian Army troops raise war cries of 'Bharat Mata Ki Jai- Bajrang Bali Ki Jai' during the 7th edition of India-UK joint-military exercise “AJEYA WARRIOR-23” being conducted at Salisbury Plains, UK pic.twitter.com/D7PwKVIF7V
— ANI (@ANI) May 11, 2023
भारत और यूनाइटेड किंगडम (इंग्लैंड) के बीच संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास ‘अजेय वॉरियर-23’ का 7वां संस्करण 27 अप्रैल को ब्रिटेन के सैलिसबरी मैदान में शुरू हुआ था। यह युद्धाभ्यास भारत और यूनाइटेड किंगडम का द्विवार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा है, जो यूनाइटेड किंगडम और भारत में वैकल्पिक रूप से आयोजित किया जाता है। इस अभ्यास का पिछला संस्करण अक्टूबर, 2021 में उत्तराखंड के चौबटिया में आयोजित किया गया था।
भारतीय सेना की टुकड़ी वायु सेना के सी-17 विमान से 26 अप्रैल को स्वदेशी हथियारों और उपकरणों के साथ ब्रीज़ नॉर्टन पहुंची थी। इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य सकारात्मक सैन्य संबंधों का निर्माण करना, एक-दूसरे की सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को अपनाना और संयुक्त राष्ट्र के शासनादेश के तहत शहरी और अर्ध-शहरी माहौल में कंपनी-स्तरीय उप-पारंपरिक संचालनों को करते हुए एक साथ काम करने की क्षमता को बढ़ावा देना है।
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एफटीएक्स और सीपीएक्स हुए थे शामिल
इस अभ्यास के दायरे में बटालियन स्तर पर कमांड पोस्ट अभ्यास (सीपीएक्स) और कंपनी स्तर पर क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास (एफटीएक्स) को शामिल किया गया था। युद्धाभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं ने विभिन्न सिम्युलेटेड स्थितियों में अपने परिचालन कौशल का परीक्षण करने वाले विभिन्न मिशनों में भाग लिया। इसके अलावा अपने-अपने सामरिक अभ्यासों का प्रदर्शन करके एक-दूसरे के परिचालन अनुभव से जानकारी हासिल की। अभ्यास का मकसद दोनों सेनाओं के बीच भाईचारा और मैत्रीपूर्ण संबंधों को विकसित करना था।