कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड के डोज का अंतराल बढ़ाने को लेकर कुछ लोगों का मानना है कि सरकार ने इसकी स्वीकृति टीके की कमी से निपटने के लिए दी है। लेकिन इस तरह के अनुमान को गलत ठहराते हुए यह निर्णय वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर लिए जाने का दावा एक्सपर्ट कर रहे हैं। कोविड वर्किंग ग्रुप के सदस्य एनके अरोड़ा ने कहा है कि यह निर्णय पूरी तरह वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है।
एनके अरोड़ा ने कहा कि टीकों की कमी से निपटने में इस निर्णय से कोई मदद नहीं मिलेगी। बल्कि यह ज्यादा लाभदायक साबित होगा।
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अंतराल बढ़ाने की सिफारिश
बता दें 13 मई को सरकार ने कोविशील्ड के दो टीकों के बीच 12 से 16 सप्ताह तक के अंतराल के निर्णय को मंजूरी दे दी है। कोविड वर्किंग ग्रुप ने यह सिफारिश की थी। इससे पहले यह गैप 6 से 8 सप्ताह रखने की सलाह दी गई थी।
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सररकार ने सिफारिश पर लगाई मुहर
अरोड़ा ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने एक महीने के अंतराल में टीका ले लिया है, उन्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। उनके शरीर में एंटीबॉडीज का अच्छा प्रोडक्शन होगा। कोविड वर्किंग ग्रुप की ओर से 13 मई को कोविशील्ड के टीके के बीच गैप को 6 से 8 सप्ताह की बजाय 12 से 16 सप्ताह करने की सिफारिश की गई थी। सरकार ने ग्रुप की इस सिफारिश पर उसी दिन मुहर लगा दी थी।