Ayodhya धाम में श्रीराम मंदिर निर्माण से श्रीराम मंदिर आंदोलन(Shriram Mandir construction and Shriram Mandir agitation)) में भागीदारी करने वाले लोग गदगद हो रहे हैं। अक्टूबर 1992 में जब पुलिस रामभक्तों को खोज-खोजकर जेल भेज रही थी। उस समय चारों ओर जय श्रीराम के नारे गूंज(Chants of Jai Shri Ram echoed all around) रहे थे। रामभक्त कह रहे थे ‘सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे।’
राममय हो गया था माहौल
बाबरी मस्जिद ध्वंस के बाद सारा माहौल राममय(After the demolition of Babri Masjid, the whole atmosphere is peaceful) हो गया था। श्रीराम मंदिर आंदोलन का निर्माण करने के लिए रामभक्त उद्वेलित थे। दीवारों पर श्रीराम के जयकारे लिखे हुए थे। गली-मोहल्लों में श्रीराम मंदिर के पक्ष में बैठकें हो रही थीं और चौपालों पर लोग चर्चा कर रहे थे। पुलिस की गाड़ियां गांवों और कस्बों में रामभक्तों की धरपकड़ में लगी थी। पुलिस ने पूरे प्रदेश में इमरजेंसी जैसा माहौल बना दिया था। पुलिस की सख्ती के साथ ही रामभक्तों के हौसले बढ़ते जा रहे थे। पुलिस ने रामभक्तों को गिरफ्तार करना शुरू किया तो रामभक्तों ने भी जेल भरने का आंदोलन शुरू कर दिया। विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं में श्रीराम के नारों का उबाल दिखाई दे रहा था।
भूमिगत हो गये सभी रामभक्त
श्रीराम मंदिर आंदेालन में जेल गए किला परीक्षितगढ़ निवासी पूर्व प्रधानाचार्य व विहिप के खंड प्रमुख रहे पदम सैन मित्तल बताते हैं कि विहिप नेतृत्व का संदेश आया कि जो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, वो जेल जाने से बचें और आंदोलन को और ज्यादा धार दें। ऐसे में मेरठ में सभी रामभक्त भूमिगत हो गए। भूमिगत रहकर ही आंदोलन चलाया जाता रहा। उसी समय पुलिस को मुखबिर ने उनके बारे में सूचना दे दी। इसके बाद गिरफ्तारी देने का तय किया गया। विहिप कार्यकर्ताओं ने प्रतिदिन 20-20 रामभक्तों के जत्थे बनाकर गिरफ्तारी देने का निर्णय लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद बाजार बंद
पदम सैन मित्तल की गिरफ्तारी के समय परीक्षितगढ़ का पूरा बाजार बंद हो गया था। हजारों रामभक्त इकट्ठा होकर नारेबाजी करते हुए स्वयं ही थाने पहुंच गए। इतनी बड़ी संख्या में रामभक्तों को देखकर पुलिस बैकफुट पर आ गई। पुलिस ने सारी व्यवस्था रामभक्तों के हाथों में दे दी।
पदम सैन मित्तल के बेटे वरिष्ठ पत्रकार अनुज मित्तल बताते हैं कि वे उस समय छोटे थे, लेकिन पूरे श्रीराम मंदिर आंदोलन को देख व समझ रहे थे। पूर्व प्रधानाचार्य पदम सैन मित्तल के नेतृत्व में 20 कार्यकर्ता जेल भेज दिए गए।
मुजफ्फरनगर में बनाई गई अस्थायी जेल
विहिप के आह्वान पर गिरफ्तारी देने के लिए रामभक्तों का रैला उमड़ आया तो सरकारी जेल छोटी पड़ गई। ऐसे में पुलिस प्रशासन को मुजफ्फरनगर जिले के जानसठ में बनाई गई अस्थायी जेलों में रामभक्तों को रखा गया। जानसठ में मुस्लिम संप्रदाय की आबादी के पास स्थित एक इंटर कॉलेज में अस्थायी जेल बनाई गई थी। एक दिन खाने को लेकर हुए विवाद के बाद विहिप कार्यकर्ताओं ने कॉलेज के चारों ओर बनी गुंबदों को ध्वस्त करके वहां भगवा ध्वज फहरा दिए। माहौल खराब होने से बचाने के लिए पुलिस प्रशासन ने तत्काल मुजफ्फरनगर में दूसरी अस्थायी जेल बनाकर रामभक्तों को वहां शिफ्ट किया गया। वहां भी भोजन को लेकर हुए हंगामे के बाद रामभक्तों को अगले दिन रिहा कर दिया गया।
इस बात का मलाल
पदम सैन मित्तल बताते हैं कि गर्व है कि उनके सामने ही श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। उन्हें गर्व की अनुभूति है, लेकिन मलाल है कि उस समय आंदोलन में भाग लेने वाले रामभक्तों में से किसी के पास भी अभी तक 22 जनवरी का निमंत्रण नहीं आया है।