जम्मू और कश्मीर सकल घरेलू राज्य उत्पाद वृद्धि में देश के शीर्ष चार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल है और कोविड महामारी मंदी के बावजूद जीएसटी संग्रह में उच्चतम वृद्धि दर हासिल की है।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने वर्ष 2021-22 में 15217.17 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह किया। राजस्व जम्मू-कश्मीर में एसजीएसटी/आईजीएसटी/मुआवजा, टिकटों, एमएसटी और उत्पाद शुल्क संग्रह से प्राप्त किया गया है।
अन्य राज्यों की अर्थव्यवस्था ने कोविड-19 महामारी का एक लंबा और गंभीर प्रभाव देखा, भारत भर के कई राज्यों के जीएसटी संग्रह में कमी आई है जबकि जम्मू और कश्मीर में पिछले वर्ष की तुलना में संग्रह में 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
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वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संग्रह में वृद्धि केंद्र शासित प्रदेश में राजकोषीय अनुशासन लाने के लिए शुरू किए गए वित्तीय सुधारों की एक श्रृंखला के कारण हुई है। यह इन सुधारों का परिणाम था कि केंद्र शासित प्रदेश को 2022-23 वित्तीय वर्ष के लिए 1.12 लाख करोड़ रुपये का बजट दिया गया था, जबकि पिछले वित्तीय वर्श 2021-22 में 1.8 लाख करोड़ रुपये थे।
वित्तीय अनुशासन को दर्शाते हुए आधिकारिक आंकड़ों में कहा गया है कि 2018-19 में, 9229 विकास कार्यों के निष्पादन पर 67,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि 2020-21 में, 21943 परियोजनाओं को केवल 63,000 करोड़ रुपये खर्च करके पूरा किया गया। वित्त विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021-22 में पहले की तुलना में 30 प्रतिशत कम खर्च हुआ है जबकि पूरे किए गए कार्य पांच गुना अधिक थे।
प्रशासन कैलेंडर वर्ष 2022 के अंत तक 75,000 करोड़ रुपये के संभावित निवेश की उम्मीद कर रहा है, जो अधिकारियों ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में इस क्षेत्र में हुए निवेश का पांच गुना है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बड़े बदलाव लाए जाने के बाद वित्तीय पारदर्शिता देखी गई है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र शासित प्रदेश सहित पूरा देश महामारी की चपेट में था और कई राज्यों के वस्तु एवं सेवा कर में गिरावट दर्ज की गई, तब भी जम्मू-कश्मीर में यह 26 प्रतिशत बढ़ गया। सिन्हा ने कहा कि देश भर के कई बेहतर राज्यों से जम्मू-कश्मीर ने असाधारण वित्तीय पारदर्शिता दिखाई है।
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