जम्मू कश्मीर में स्थापित होगा संस्कृत गुरुकुल? शंकराचार्य से मिलकर महंत रोहित शास्त्री ने किया ये अनुरोध

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श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में ऋगवैदिय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठ के वर्तमान 145 वें श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज जी से शिष्टाचार भेंट कर उन्हें कामधेनु गाय माता की प्रतिमा भेंट कर उन्हें ट्रस्ट द्वारा चल रहा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों के विषय में अवगत करवाया।

इस अवसर पर महंत रोहित शास्त्री ने जगद्गुरु पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती शंकराचार्य जी को जम्मू कश्मीर आने का न्योता भी दिया। इस अवसर पर महंत रोहित शास्त्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर की भूमि शैव दर्शन का सनातन केंद्र रही है। इसी पावन भूमि पर प्रत्यभिज्ञादर्शन के संस्थापक आचार्य अभिनवगुप्त, महाकवि कल्हण, महाकवि विल्हण और अनेक प्राचीन संस्कृत मनीषियों का उद्भव हुआ है। जिन आचार्यो ने अपने कर्मरूपी तप से न केवल भारतवर्ष को बल्कि संपूर्ण विश्व को एकता के सूत्र में पिरोने का मार्ग प्रशस्त किया था, वही पुण्यसलिला जम्मू-कश्मीर वसुंधरा आज संस्कृत से विलुप्त होती जा रही है।

संस्कृत पढ़ने के इच्छुक छात्र चिंतित
वर्तमान में जम्मू कश्मीर में संस्कृत गुरुकुलों की कमी के कारण संस्कृत पढ़ने के इच्छुक विद्यार्थी चिंतित हैं। शास्त्री ने शंकराचार्य जी से आग्रह किया कि यदि आप जम्मू कश्मीर में संस्कृत गुरुकुल की स्थापना करें तो प्रदेश में विलुप्त हुए संस्कृत धर्म दर्शन की पुनर्प्रतिष्ठा संभव है। रोहित शास्त्री ने कहा की इस विषय पर सकारात्मक परिणाम के लिए राज्य में संस्कृत भाषा के विकास के लिए जिम्मेदार कारकों पर चर्चा करने की आवश्कता है। जम्मू मंदिरों के शहर के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध है, लेकिन संस्कृत छात्रों को सुविधाओं और पर्याप्त अवसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

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