असम से झारखंड आने के दौरान गुमला स्टेशन पर बिछड़े बच्चे आखिर अपने पिता के पास पहुंच गए। सात साल बाद बच्चों का अपने पिता से मिलना काफी भावनात्मक दृश्य था। बच्चों को उनके पिता से मिलवाने में बाल कल्याण समिति का सराहनीय प्रयास था।
बता दें कि झारखंड के रायडीह थाना क्षेत्र के बमलकेरा सेमरटोली निवासी पिलांबर सिंह 29 साल पहले काम करने के लिए असम गए थे। वहां काम करने के दौरान उन्होंने मिनी नामक एक युवती से शादी कर ली थी। वहां उनके पांच बच्चे हुए। उनमें तीन बेटियां और दो बेटे शामिल हैं।
घर आते समय एक दूसरे से बिछड़े
वर्ष 2014 में पितांबर सिंह पत्नी और बच्चों के साथ अपने घर आ रहे थे। तभी गुमला स्टेशन पर उनकी पत्नी बिछड़ गई। पत्नी को खोजने में उनके बच्चे भी बिछड़ गए। पत्नी और बच्चों से बिछड़ने के बाद वह अपने घर सेमरटोली आ गए। यहां उनका एक भाई रहता था, जो काफी बीमार था। इस वजह से यहां की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ पड़ी। हालांकि उन्हें अपनी पत्नी और बच्चों की याद हमेशा सताती थी। बीच-बीच में वह उनकी तलाश भी करते थे। काफी दिनों बाद पता चला कि उनकी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं रही। लेकिन बच्चे खूंटी गांव में हैं।
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ऐसे हुआ मिलन
पिलांबर सिंह बच्चों को लेने खूंटी गांव गए, लेकिन गांव वालों ने बच्चों को देने से इनकार कर दिया। उसके बाद पिलांबर ने बाल कल्याण समिति का सहारा लिया। 23 मार्च को गुमला बाल कल्याण समिति के कार्यालय में उनकी बच्चों से मुलाकात हुई और आवश्यक कार्रवाई के बाद बच्चों को उन्हें सौंप दिया गया।