उत्तर प्रदेश के कैराना में बड़े स्तर पर हिंदुओं ने पलायन किया था। इसे रोकने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े प्रयत्न किये। इसमें सबसे बड़ी कार्रवाई हिंदुओं के विरुद्ध आतंक का पर्याय बन चुके फुरकान पर कार्रवाई थी। इस कार्रवाई में अंतिम कील भी योगी सरकार के शासनकाल के समय ही ठुक गई है। जब आतंक का बड़ा पर्याय बने फुरकान को दस वर्षों की सजा हो गई है।
उत्तर प्रदेश के शामली स्थित फार्स्ट ट्रैक न्यायालय ने फुरकान को दोषी करार देते हुए दस वर्षों के कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उस पर एक लाख रुपए का अर्थ दंड भी लगाया है।
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ड्रग, डकैती और दादागिरी का पर्याय
फुरकान शामली जिले में ड्रग कारोबार, डकैती और दबंगई के लिए कुख्यात था। आरोप है कि वह आपराधिक गिरोह संचालित करता है। जिसने आतंक स्थापित करके कैराना में हिंदू व्यापारियों को पलायन के लिए मजबूर कर दिया था। फुरकान पर विभिन्न अपराधों के दो दर्जन से अधिक प्रकरण दर्ज हैं। उस पर 25 फरवरी, 2019 को ड्रग तस्करी का एक प्रकरण दर्ज किया गया था। जिसकी सुनवाई में उसे विशेष फास्ट ट्रैक न्यायालय ने दोषी पाया और ड्रग तस्करी के प्रकरण में दस वर्ष की सजा सुनाई।
#ShamliPolice
पुलिस अधीक्षक शामली @SukirtiMadhav के निर्देशन में जनपद की मॉनिटरिंग सेल द्वारा NDPS मामले में प्रभावी पैरवी के चलते कैराना के कुख्यात अपराधी फुरकान को मा0 न्यायालय द्वारा सुनाई गई 10 वर्ष कारावास की सजा, साथ ही एक लाख रुपये के अर्थदण्ड से भी दंडित किया ।#UPPolice pic.twitter.com/sJTEwjpEuY— Shamli police (@PoliceShamli) January 13, 2022
पलायन ही पर्याय बना
कैराना में अगस्त 2014 में व्यापारी विनोद सिंघल की फुरकान ने हत्या कर दी थी। यह हत्या रंगदारी न देने के कारण हुई थी। इसके बाद फुरकान का अगला टार्गेट बने शीत पेय एजेंसी के मालिक ईश्वरचंद्र उर्फ बिल्लू। उन्हें फुरकान ने रंगदारी देने के लिए धमकी दी, तो वे कैराना से पानीपत पलायन कर गए। इसके बाद कुख्यात बदमाश मुकीम काला ने रंगदारी की राह पकड़ी और उसने कैराना के व्यापारी राजेंद्र और शिवकुमार की हत्या कर दी।
इन हत्याओं ने व्यापारियों और विशेषकर हिंदुओं में असुरक्षा की भावना को प्रबल कर दिया। इसके बाद एक समय आया जब व्यापारी कैराना छोड़कर जाने लगे।
भाजपा ने सुना दर्द
इन पलायनों के मुद्दे को सबसे पहले भाजपा के स्थानीय सांसद हुकुम सिंह ने उठाया। उन्होंने 30 मई, 2016 को कैराना से पलायन करनेवाले 346 परिवारों की सूची सामने लाई। इसके बाद योगी सरकार सक्रिय हो गई और कार्रवाई का काल शुरू हो गया।