Kalaram Temple Nashik: 22 जनवरी 2024 की तिथि भारत के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत अहम रही। 22 january को 500 वर्षों के बाद अयोध्या में श्रीरामलला अपने अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए। अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव के लिए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को भी निमंत्रण भेजा गया था। लेकिन ठाकरे अयोध्या ना जाकर इसी दिन नाशिक के कालाराम मंदिर में पूजा-पाठ करने पहुंचे। अब नाशिक में पूजा करते ठाकरे परिवार की जो तस्वीर सामने आई है, वो एक मुद्दा बनती नजर आ रही है।
क्या पुरोहित कर रहे यजमान की पूजा ?
दरअसल नाशिक के कालाराम मंदिर में पूजा करते उद्धव ठाकरे पत्नी रश्मि ठाकरे और दोनों बेटों के साथ ऊंचे आसन पर बैठे हुए हैं, जबकि भगवान और पुरोहित (god and priest) दोनों जमीन पर दिख रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में उद्धव ठाकरे को पूजा करते पुरोहित हाथ जोड़ने की मुद्रा में ऐसे लग रहे हैं, जैसे वो उद्धव परिवार की ही पूजा-अर्चाना कर रहे हैं।
भगवान और पुरोहित का अपमान
उद्धव ठाकरे की यह तस्वीर इसीलिए नोटिस की जा रही है। क्योंकि भारतीय परंपरा में भगवान और पुरोहित को यजमान से हमेशा ऊंचा आसन देने का विधान है। किसी शारीरिक समस्या की स्थिति में ही यजमान को किसी ऊंचे आसन पर बैठने का विकल्प दिया जाता है। लेकिन नाशिक के कालाराम मंदिर में उद्धव ठाकरे खुद तो ऊंचे आसन पर बैठे ही हैं, अपने साथ पत्नी और बेटों को लेकर भी पुरोहित और भगवान के सामने ऊंचे आसन पर बैठे हुए हैं। सनातन संस्कृति (Sanatan Culture) में ऐसे बर्ताव को भगवान और पुरोहित के अपमान (Insult) से जोड़कर देखा जाता है।
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