Kashi: जाणता राजा को छह दिन में मिले 80 हजार दर्शक, उपमुख्यमंत्री ने की ये घोषणा

100 दिन के अंदर शिवाजी महाराज और पंडित गागाभट्ट की प्रतिमा काशी में लगा दी जाएगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदू साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य से समाज में युवा शक्ति को प्रेरणा लेकर उनके जैसा व्यक्तित्व निर्मित करना चाहिए।

1194

Kashi: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के एंफीथिएटर मैदान में सेवा भारती की ओर से आयोजित महानाटय जाणता राजा (Janata Raja) के मंचन के अंतिम दिन 25 नवंबर की शाम छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) का शौर्य और छापामार युद्ध शैली की जीवंत प्रस्तुति देख दर्शक जोश से भर उठे। पूरा मैदान हर-हर महादेव और जय भवानी के गगनभेदी उद्घोष से गुंजायमान रहा। अन्तिम दिन प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) भी नाटक का मंचन देखने पहुंचे।

इस दौरान उपमुख्यमंत्री मौर्य ने कहा कि सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक से लेकर वीर शिवाजी महाराज, देवी अहिल्याबाई, सरदार वल्लभभाई पटेल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समय-समय पर देश को संकट से उबारने का कार्य किया है और परिस्थितियों को समझकर विपरीत माहौल में विधर्मियों से लड़ा और भगवा ध्वज को फहराया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जाणता राजा का अर्थ बुद्धिमान और दूरदर्शी राजा होता है, छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक काशी के वेद मूर्ति विद्वान पंडित गागा भट्ट ने ही कराया था।

काशी में लगेगी शिवाजी महाराज और पंडित गागाभट्ट की प्रतिमा
उन्होंने कहा कि 100 दिन के अंदर शिवाजी महाराज और पंडित गागाभट्ट की प्रतिमा काशी में लगा दी जाएगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदू साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य से समाज में युवा शक्ति को प्रेरणा लेकर उनके जैसा व्यक्तित्व निर्मित करना चाहिए। उपमुख्यमंत्री ने रामनगरी अयोध्या में रामलला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा का जिक्र कर कहा कि 550 वर्षों बाद 22 जनवरी को भगवान राम लला विराजमान होंगे और मुख्य जजमान के तौर पर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे । उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है और बाबा काशी विश्वनाथ धाम में भी कॉरिडोर अपनी भव्यता के चरम पर है। उपमुख्यमंत्री के महानाट्य के आयोजन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत प्रचारक रमेश की सराहना की और आयोजन समिति को भी सराहा।

आज भी प्रासंगिक है छत्रपति शिवाजी का जीवन
कार्यक्रम में कथावाचक शांतनु महाराज ने कहा कि “प्रत्यक्षं किम प्रमाणं” यानी प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती। मात्र 6 दिनों में काशी प्रांत के विभिन्न जिलों से आए लगभग 80 हजार दर्शकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के विराट व्यक्तित्व को सीने में बसाया। भाव-विभोर दर्शकों ने अनुभव किया कि 350 वर्ष पूर्व यदि महाराज शिवाजी का जीवन अनिवार्य आवश्यक था तो आज 350 वर्ष बाद भी छत्रपति शिवाजी का जीवन प्रासंगिक है।

अंतिम दिन नाटक देखने के लिए उमड़ी भीड़
महानाटय जाणता राजा के मंचन के अंतिम दिन दर्शकों का सैलाब उमड़ पड़ा। जय भवानी-जय शिवाजी का नारा लगा दर्शक नाटक देखते रहे। नाट्य के मंचन में शिवाजी महाराज के जन्म से लेकर छत्रपति बनने तक की ऐतिहासिक गौरव गाथा को 3 घंटे के अंदर पात्रों ने जीवंत किया। नाटक के आरंभ में बताया गया कि यह 1143वां मंचन है। 300 से अधिक कलाकारों की स्टारकास्ट, बहुमंजिला सेट, लकदक करती कॉस्टयूम, सुरम्य संगीत, चकाचौंध प्रकाश व्यवस्था, हाथी, ऊंट, घोड़े पर सवार सैनिक और संगीत गीत से सजे महानाट्य को दर्शकों ने मंत्रमुग्ध होकर देखा। नाटक में कथ्य दर्शाने के लिए संवाद से अधिक गीतों का प्रयोग किया गया। सूत्रधार के माध्यम से भी घटनाओं का सजीव चित्रण किया गया। रिकॉर्ड संवाद, गीत और बैकग्राउंड संगीत के बीच सभी कलाकारों के लिप्स मूवमेंट की टाइमिंग बेहतरीन रही। मराठी नृत्य और मराठी गानों के तालमेल ने जाणता राजा महानाट्य को दमदार बना दिया। महानाट्य में गोंधल, पोवडा, अभंगा और लवानी जैसे लोकगीतों को शामिल किया गया ।

यह भी पढ़ें – Respiratory disease: चीन में क्यों बढ़ रही सांस की बीमारी, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताई वजह, WHO ने जताई चिंता

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.