काशी विश्वेश्वर के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे! अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

काशी विश्वेश्वर मंदिर के कुछ हिस्सों को इस्लामियों के कब्जे से मुक्ति के लिए न्यायालय में प्रकरण प्रलंबित है। इस विषय को लेकर अधिवक्ता विष्णू शंकर जैन ने वैश्विक हिंन्दू राष्ट्र महोत्सव में अपना पक्ष स्पष्ट किया।

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काशी विश्वेश्वर मंदिर

काशी विश्वेश्वर मुक्ति आंदोलन के प्रमुख अंग अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा है कि, उत्तर प्रदेश के काशी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में 16 मई, 2022 को शिवलिंग दिखा है, तब से हम निरंतर उसकी मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस संघर्ष में मुसलमान पक्षकार सफल नहीं होंगे, यह ज्ञात होने के कारण वे इस याचिका के संदर्भ में बाधाएं उत्पन्न करने का कार्य कर रहे हैं तथा कुछ लोगों के माध्यम से याचिका पीछे लेने की अफवाह फैला रहे हैं। प्रत्यक्ष में हमने कोई याचिका पीछे नहीं ली है और मैं सबको विश्वास देता हूं कि, जीवन के अंतिम श्वास तक श्री काशी विश्वेश्वर की मुक्ति के लिए हम लड़ते रहेंगे।

तब बनेगा अखंड हिंन्दू राष्ट्र
काशी विश्वेश्वर मंदिर के परिसर में स्थित श्री श्रृंगारगौरी देवी, हनुमान, श्रीगणेश आदि देवताओं की पूजा करने का अधिकार मिले, इसके लिए हम संघर्ष कर रहे हैं । काशी विश्वेश्वर की मुक्ति होगी, तब देश अखंड हिन्दू राष्ट्र बनेगा । काशी विश्वेश्वर की मुक्ति का बडा लक्ष्य रखकर हम मार्गक्रमण कर रहे हैं । इसके लिए सर्व हिन्दू संगठित होकर इस संपूर्ण परिसर के सर्वेक्षण की मांग करते रहें, ऐसा आवाहन ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के प्रवक्ता एवं सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने किया । वे ‘श्रीरामनाथ देवस्थान’, फोंडा, गोवा के ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के दूसरे दिन ‘मंदिर मुक्ति अभियान’ इस सत्र में बोल रहे थे ।

हिन्दू महानुभावों की उपस्थिति
इस अवसर पर अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर ने कोल्हापुर स्थित श्री महालक्ष्मीदेवी मंदिर की श्री महालक्ष्मी की मूर्ति के संबंध में वर्तमान स्थिति तथा कर्नाटक के सहकार संजीवनी चिकित्सालय के डॉ. एन. रमेश हासन ने चन्नकेश्वर मंदिर में कुरान पढने के विरुद्ध किए सफल संघर्ष की जानकारी दी । आंध्रप्रदेश की हिन्दू उपाध्याय समिति के संस्थापक अध्यक्ष महेश डेगला ने भी मनोगत व्यक्त किए ।

गंगाजल पर शोध होना आवश्यक
अधिवक्ता अरुण गुप्ता ने कहा कि, गंगा नदी में प्राणवायु का स्तर सर्वाधिक है तथा नदी में ‘बेक्टीरिया फॉस’ नामक जीषाणु होता है । इसलिए गंगाजल खराब नहीं होता। कोरोनाकाल में गंगा नदी के किनारे स्थित शहरों में कोरोना के रोगी अन्य शहरों की तुलना में कम दिखाई दिए तथा ठीक होनेवालों की संख्या भी अधिक दिखाई दी है । केवल कोरोना ही नहीं, अपितु अन्य बीमारियां भी गंगानदी के जल से ठीक हो सकती हैं । इसलिए ऐसे गंगाजल पर अधिक शोध होना आवश्यक है।

इस अधिवेशन का सीधा प्रसारण हिन्दू जनजागृति समिति के जालस्थल HinduJagruti.org द्वारा तथा ‘HinduJagruti’ इस ‘यू-ट्यूब’ चैनल द्वारा भी किया जा रहा है ।

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