गणेशोत्सव 2022ः बिहार में करना चाहते हैं लालबाग के राजा का दर्शन? तो नहीं आना पड़ेगा महाराष्ट्र

भादो माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन 31 अगस्त को गणपति बप्पा बेगूसराय के 50 से अधिक मंडपों में पधारेंगे।

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देवताओं में प्रथम पूज्य रिद्धि-सिद्धि दायक गणपति गणेश पूजनोत्सव की तैयारी तेज हो गई है। मूर्तिकार गणेश की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। भादो माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन 31 अगस्त को गणपति बप्पा बेगूसराय के 50 से अधिक मंडपों में पधारेंगे।

लगातार एक सप्ताह से अधिक की पूजा के बाद नौ सितम्बर को अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा विसर्जित की जाएगी। दो साल तक कोरोना के कारण साधारण रूप से पूजा हुई, लेकिन इस वर्ष कोरोना में कमी के कारण विस्तारित पूजा की तैयारी हो रही है, तमाम जगहों पर पूजा को लेकर तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है।

अब बिहार में लाल बाग के राजा
सभी मंडपों में गणेश की प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर पूजा समितियों ने तैयारी तेज कर दी है। कहीं बाल गणेश की प्रतिमा स्थापित होगी तो कहीं दबंग गणेश और लाल बाग के राजा के रूप में प्रतिमा स्थापित किए जाएंगे। कलाकार मिट्टी की बनी प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। सबसे अधिक प्रतिमा लंबे समय से मिट्टी की प्रतिमा सहित अन्य सामान बनाने के सामान बनाने के लिए बिहार से लेकर पड़ोसी राज्यों तक चर्चित मंसूरचक में बन रही है।

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प्रतिमा पूरी तरह से इको फ्रेंडली
यहां की बनी प्रतिमा सिर्फ बेगूसराय के विभिन्न हिस्से में ही नहीं, बल्कि दूर-दूर तक ले जाए जाएंगे, इसके लिए पूर्व में ही ऑर्डर किया जा चुका है। जिला मुख्यालय स्थित गौशाला रोड में गणेश की प्रतिमा बना रहे मूर्तिकार अमर ने बताया कि मुंबई की तर्ज पर बिहार में भी अब पंडाल सजाकर गणेश पूजा करने वालों की संख्या बढ़ रही है। सभी प्रतिमा पूरी तरह से इको फ्रेंडली है तथा सरकारी गाइडलाइन के अनुसार रंग भी प्रकृति के अनुकूल दिया जा रहा है।

ज्योतिष अनुसंधान केंद्र गढ़पुरा के संस्थापक पंडित आशुतोष झा ने बताया कि रिद्धि-सिद्धि दाता भगवान गणेश की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश की पूजा की जाती है। इसलिए गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है, इस वर्ष गणेश चतुर्थी का शुभ योग 31 अगस्त को है, शुभ मुहूर्त में ही गणपति की स्थापना काफी फलदायी होगा। पूजा में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। पूजा में अन्य सामग्रियों के अलावा दूब (घास), गन्ना और बुनिया के लड्डू का भोग जरूर लगाना चाहिए। प्रतिमा खरीदते समय भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है, कोशिश करें कि प्रतिमा ऐसी खरीदें जिसका सूड़ दाएं दिशा की तरफ मुड़ी हुई हो।

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