कोंकणवासी लगभग बीस वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद अपने गांव विमान से पहुंच पाएंगे। यह कोंकण की नैसर्गिक छटा के प्रशंसकों के लिए भी बड़ी सुविधा है, जिससे वे मुंबई और कोंकण विमानतल की दूरी को घंटे भर से कम समय में पूरा कर पाएंगे। यह हवाई अड्डा सिंधुदुर्ग में है, परंतु इसका नामकरण चिपी क्यों पड़ा यह भी किसी सस्पेंस से कम नहीं है।
कोंकण क्षेत्र का पहला हवाई अड्डा सिंधुदुर्ग जिले के परुले गांव में जिस स्थान पर है उसे चिपी वाडी कहा जाता है। यह पठारी हिस्सा है, जहां हवाई अड्डा निर्मिति के लिए गांव के लोगों ने अपनी भूमि दी है। स्थानीय लोगों के योगदान को सार्थकता देने के लिए इस हवाई अड्डे का नाम चिपी हवाई अड्डा पड़ा है।
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ऐसे हुआ विकास
चिपी विमानतल के निर्माण की परियोजना 520 करोड़ रुपयों की है। जिसका ठेका आईआरबी सिंधुदुर्ग एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के पास है। इसे 95 साल के पट्टे पर ठेका कंपनी को निर्माण, उपयोग और हस्तांतरण के समझौते पर दिया है। इस हवाई अड्डे पर 200 लोगों के आगमन और प्रस्थान की क्षमता है। इसे 400 यात्रियों की क्षमता तक विस्तार दिया जाएगा।