कठपुतली के माध्यम से दिखाई गई स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की जीवन गाथा

स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के जीवन पर आधारित एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें उनकी जीवनगाथा को कठपुतले के माध्यम से दिखाया गया।

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वीर सावरकर के जीवन पर आधारित एक कलाकृति 5 फरवरी 2023 को स्वातंत्र्यवीर सावरकर हॉल में स्वातंत्र्यवीर  सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सहयोग से एवं कलांगन द्वारा प्रस्तुत कठपुतली के माध्यम से प्रस्तुत की गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में रामदास पाध्ये, स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर और वर्षा भावे उपस्थित थे।

इस कलाकृति के लेखक शिवदास मसगे ने वीर सावरकर के विचारों और कार्यों को सामने लाने का विशेष ध्यान रखा ताकि बच्चे उन्हें पूरी तरह से जान सकें। यह कलाकृति गणपत मेसगे द्वारा निर्देशित है और कृष्णा मेसगे द्वारा प्रस्तुत किया गया है। कलाकृति लिखे जाने के बाद कठपुतलियों को बनाने में काफी मेहनत करनी पड़ी।  अथक प्रयास और दृढ़ संकल्प के साथ, कृष्ण मसगे ने छाया और कठपुतलियों को मिलाकर सावरकर की जीवन गाथा को साकार किया।

ऐसे मिली प्रेरणा
राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता गणपत सखाराम मसगे ने इस कार्यक्रम की भव्यता के साथ-साथ शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम का पहला शो दिल्ली के रवीन्द्र भवन संगीत नाटक अकादमी में किया गया। इसके बाद जिला स्तर पर इस कला कृति के कार्यक्रम आयोजित किए गया। कृष्ण मसगे ने कहा कि जब पूरे भारत में स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, तब हमें भी उसमें भाग लेने और वीरों की जीवन गाथाओं को कठपुतलियों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की इच्छा हुई और फिर इसके लिए प्रयास शुरू किए। उसी समय, ‘धग्धगते यज्ञकुंड’ पुस्तक पढ़ी और उसका इतना प्रभाव पड़ा कि यह निर्णय लिया गया कि हमें वीर सावरकर पर एक कार्यक्रम करना चाहिए, जिससे यह कला का निर्माण हुआ।

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