हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ की पीठ ने एक अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय पर अपना ऐतिहासिक निर्णय दिया है। उन्होंने कहा है कि लिव इन रिलेशन भारत में विवाह संस्था को नष्ट करने की योजनाबद्ध रणनीति है। शादी और लिव इन रिलेशन में वेबफाई को एक प्रगतिशील समाज के संकेत के रूप में पेश किया जा रहा है और देश के युवा इस ओर रिझे जा रहे हैं। हर मौसम में पाटर्नर बदलना स्वस्थ समाज की पहचान नहीं।
लिव इन रिलेशन पर जताई चिंता
पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कुमार ने 3अगस्त को एक बयान जारी कर लिव इन रिलेशन पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में लिव इन रिलेशन और समलैंगिता अत्यन्त दुर्भाग्यशाली और पूरे समाज की नींव हिलाने वाली है। हजारों लाखों सालों से भारत में एक स्वस्थ और सुन्दर समाज की व्यवस्था की है। पुरुष में नारी से मिलने की एक स्वाभाविक इच्छा है। इसी इच्छा से ही सृष्टि होती है। यदि यह स्वाभाविक आकर्षण न होता तो सृष्टि भी नही हो सकती थी। इस स्वाभाविक आकर्षण को भारत ने सालों पहले व्यवस्थित करने के लिए विवाह की संस्था को बनाया। इसके कारण हजारों सालों से भारत का समाज व्यवस्थित और अनुशासित जीवन जी रहा है।
समलैंगिता की भी की आलोचना
शान्ता कुमार ने कहा कि भौतिकवाद और आधुनिकता के पागलपन में आज विश्वभर में लिव इन सम्बंधों और समलैंगिता को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है और भारत के लोगों को इस मूर्खता की अंधी नकल नही करनी चाहिए। समलैंगिता प्राकृतिक नहीं है, समलैंगिता एक विकृति है, एक बीमारी है। भारतीय समाज में इसको कभी भी मान्यता नहीं दी। हजारों लाखों सालों से व्यवस्थित भारत के समाज में यह दो ऐसी बीमारियां पैदा हो रही हैं, जो आगे चलकर बहुत बड़े संकट को जन्म देंगे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस सिद्वार्थ को दी बधाई
पूर्व मुख्यमंत्री कुमार ने ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सिद्वार्थ को उनके निर्णय पर बहुत बधाई दी है और सरकार से आग्रह किया है कि इन दोनों खतरनाक बीमारियों को अतिशीघ्र रोकने की कोशिश करे। उन्होंने भारतीय समाज के सभी नेताओं से निवेदन किया है कि इससे पहले यह दाेनों विकृतियां हमारे व्यवस्थित समाज की मान्यता को नष्ट कर दें, इनको रोकना ही होगा।