भगवान महाकाल की चौथी सवारीः एक साथ इन चार रूपों में देंगे दर्शन

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि सवारी निकलने के पूर्व मंदिर के सभामंडप में भगवान चन्द्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा।

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श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली सवारियों के क्रम में 31 जुलाई को श्रावण के चौथे सोमवार को विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल की चौथी सवारी धूमधाम से निकाली जाएगी। भगवान महाकाल एक साथ चार रूपों के श्रद्धालुओं को दर्शन होंगे। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव तथा नंदी पर उमा महेश रूप में सवार होकर नगर का भ्रमण करेंगे और अपनी प्रजा का हाल जानेंगे।

शाही ठाठ बाट के साथ सवारी
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि सवारी निकलने के पूर्व मंदिर के सभामंडप में भगवान चन्द्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा। इसके बाद महाकालेश्वर मंदिर से शाम 4ः00 बजे शाही ठाठ बाट के साथ सवारी शुरू होगी। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान पालकी में विराजे भगवान चंद्रमौलेश्वर को सलामी देंगे। इसके बाद भगवान चन्द्रमौलेश्वर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। इस दौरान हाथी पर मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव और नन्दी रथ पर उमा-महेश स्वरूप में भगवान अपने भक्तों को दर्शन देंगे।

इन मार्गों से निकलेगी सवारी
सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी, जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यीनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।

देश-विदेश के भक्त होंगे शामिल
श्रावण मास होने के कारण प्रतिदिन बड़ी संख्या में देश-विदेश से भक्त महाकाल दर्शन और महाकाल लोक देखने पहुंच रहे हैं। महाकाल मंदिर समिति द्वारा महाकाल सवारी के लिए सभी आवश्यक इंतजाम कर लिए गए हैं। भगवान महाकाल की सवारी का सजीव प्रसारण महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के फेसबुक पेज पर भी किया जाएगा।

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भस्म आरती में भक्तों का सैलाब
महाकालेश्वर मंदिर में आज श्रावण के चौथे सोमवार भगवान महाकाल का विधि विधान से पूजन किया गया। तड़के बाबा महाकाल की भस्म आरती हुई, जिसमें श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। तड़के ढाई बजे मंदिर के कपाट खुलने के बाद सबसे पहले पंडित और पुरोहितों द्वारा राजाधिराज भगवान महाकाल को जल चढ़ाया गया, जिसके बाद उनकी विधि विधान से पूजा की गई। भस्म आरती से पहले भगवान महाकाल को दूध, दही, शहद, शक्कर और फलों के रस से स्नान कराया गया। इसके बाद भगवान का भांग, सूखे मेवे, अबीर, गुलाल और चंदन आदि से श्रृंगार किया गया। तत्पश्चात बाबा महाकाल की भव्य भस्म आरती हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। आज दिन भर भगवान महाकाल का जलाभिषेक होगा।

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