पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है। हालांकि उनकी मांगों में से महंगाई और मकान भत्ता बढ़ाने की मांग को स्वीकार कर लिया गया है। लेकिन वे एसटी के राज्य सरकार में विलय की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। इस मांग को लेकर पिछले पांच साल से एसटी कर्मी आंदोलन करते रहे हैं। लेकिन अभी तक उनकी यह मांग पूरी नहीं होने से वे नाराज हैं। इस मांग को लेकर उन्होंने 27 अक्टूबर से एक बार फिर हड़ताल पर हैं। उनकी इस हड़ताल से जहां यात्रियों को भारी परेशानी हुई है, वहीं निगम को भी अब तक लगभग 200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसलिए अब एमएसआरटीसी ने बड़ी कार्रवाई की है।
राज्य सरकार में विलय की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए 376 एसटी कर्मियों के खिलाफ निगम ने कार्रवाई की है। निगम ने प्रदेश के 45 डिपो के 376 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। इन पर आरोप है कि राज्य सरकार द्वारा जीआर निकालने के बावजूद एसटी यूनियनों ने हड़ताल वापस नहीं ली।
इन डिपो के एसटी कर्मी निलंबित
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फैसले से कर्मचारी यूनियन नाराज
मुंबई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों की हड़ताल के खत्म होने के तुरंत बाद उनकी मांगों को हल करने के लिए एक समिति गठित करे। उसके बाद राज्य सरकार ने जीआर जारी कर एसटी कर्मियों से हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन कर्मचारी यूनियनों ने इस फैसले पर असंतोष व्यक्त किया और इसका विरोध किया। इसलिए एसटी कार्यकर्ताओं की हड़ताल आज भी जारी है। इस बारे में परिवहन मंत्री अनिल परब ने कहा है कि यह एक बड़ा मुद्दा है और इस पर एक या दो दिन में फैसला नहीं लिया जा सकता। इस पर चर्चा कर ही आगे का निर्णय लिया जा सकता है।