देश में महाराष्ट्र राज्य कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है। हालांकि संक्रमण के मामले कम हुए हैं लेकिन कहर अभी तक जारी है। इस संक्रमण से राज्य के सभी वर्ग और समुदाय के लोग प्रभावित हुए हैं, लेकिन देह व्यापार करने वाली महिलााएं इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। उनका व्यवसाय पूरी तरह बंद हो चुका है और वे घोर आर्थिक तंगी से गुजर रही हैं। ऐसे में राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार ने उनकी ओर मदद का हाथ बढ़ाने का फैसला किया है।
प्रति माह 5000 रुपए की मदद
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के मुताबिक देह व्यापार करनेवाली महिलाओं को कोरोना काल में 5000 रुपए प्रति महीने मदद के तौर पर दिया जाएगा। इसके साथ ही तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल भी दिया जाएंगे। जिन महिलाओं के बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं, उन्हें अपनी ऑनलाइल शिक्षा जारी रखने के लिए अलग से 2500 रुपए दिए जाएंगे।
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ज्यादातर सेक्स वर्कर्स के पास दस्तावेज नहीं
सरकार ने भले ही मदद के हाथ बढ़ाने का फैसला किया है लेकिन ज्यादातर देह व्यापार करनेवाली महिलाओं के पास राशन कार्ड, आधार कार्ड और बैंक अकाउंट जैसे दस्तावेज नहीं है। ऐसे में ये महिलाएं सरकारी मदद से वंचित रह जाएंगी।
लिस्ट में 5,600 सेक्स वर्कर्स
महाराष्ट्र के बाल विकास विभाग ने मुंबई में 5,600 देह व्यापार करनेवाली महिलाओं की लिस्ट जारी की हैं। इनमें इनके 1592 बच्चे भी शामिल हैं। इस लिस्ट के मुताबिक उन्हें सरकार मदद उपलब्ध कराएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था संज्ञान
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में देह व्यापार करनेवाली महिलाओं को लेकर लॉकडाउन और कोरोना के चलते संज्ञान लिया था। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को सेक्स वर्कर्स की मददद करने पर विचार करने को कहा था। जस्टिस नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने माना था कि जिनके पास राशन कार्ड न हो, ऐसी महिलाओं को भी सरकार को तुरंद मदद करनी चाहिए।
वयस्क महिला को अपना पेशा चुनने का अधिकारः बॉम्बे हाई कोर्ट
देह व्यापार को लेकर आज भी लोगों में काफी उहापोह है। लेकिन इसी वर्ष सितंबर में बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट रुप से कहा है कि वयस्क महिलाओं को अपना पेशा चुनने का अधिकार है। कोर्ट ने यह फैसला देह व्यापार में शामिल तीन युवतियों से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा। कोर्ट ने कहा कि किसी भी वयस्क महिला को बिना उसकी सहमति के लंबे समय तक सुधार गृह में नही रखा जा सकता।
इममॉरल ट्रैफिकिंग कानून का दिया हवाला
न्यायमूर्ति पृथ्वी पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि इममॉरल ट्रैफिकिंग कानून( 1956-अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम) का उद्देश्य देह व्यापार को खत्म करना नहीं है। इस कानून के अंतर्गत ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है, जो देह व्यापार को स्वयं में अपराध मानता हो, अथवा देह व्यापार से जुड़े हुए लोगों को दंडित करता हो। इस कानून के तहत सिर्फ व्यावसायिक उद्देश्य के लिए यौन शषण करने व सार्वजनिक जगहों पर अशोभनीय हरकत किए जाने को दंडनीय माना गया है।
क्या था मामला?
मुंबई पुलिस की समाज शाखा ने सितंबर 2019 में तीनों युवतियों को छुड़ाया था। उसके बाद उन्हें सुधार गृह भेज दिया गया था। तीनों युवतियां ऐसे समुदाय से आती थीं, जहां देह व्यापार इनकी वर्षों पुरानी परंपरा है। ये तीनों युवतियां बालिग थीं। कोर्ट ने इनके रिहा करने का आदेश देते हुए कहीं भी जाने का अधिकार दिया था। वास्तव में इनकी माताओं ने इनकी कस्टडी मांगी थीं।