महाराष्ट्र के पिंपरी-चिंचवड में पिछले कुछ दिनों से कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस संख्या को कम करने के लिए प्रशासन कड़ी मेहनत कर रहा है। लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या के आगे प्रशासन कमजोर पड़ता नजर आ रहा है। स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव काफी बढ़ता जा रहा है क्योंकि हर दिन सैकड़ों नए मरीज पाए जा रहे हैं। मनपा के यशवंतराव चव्हाण अस्पताल की हालत तो और गंभीर बनी हुई है। यहां बेड उपलब्ध न रहने के कारण जमीन पर लिटाकर मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा रहा है।
वाईसीएम अस्पताल में मरीज जमीन पर सो रहे हैं। वहीं मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा रहा है। इसके बावजूद अस्पताल के बाहर मरीजों की लंबी कतार है।
स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई
पिंपरी चिंचवड में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। शहर के अस्पताल में वेंटिलेटर बेड, ऑक्सीजन बेड समाप्त हो गए हैं। मरीजों को बेड पाने के लिए 5-6 दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। कई मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। गत दिन पिंपरी गांव की एक बुजुर्ग महिला को उसकी आखिरी सांस तक वेंटिलेटर बेड नहीं मिल सका।
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दूसरे अस्पताल में बेड खोजने की सलाह
मरीजों के परिजनों को वाईसीएम अस्पताल के डॉक्टर दूसरे अस्पतालों में बेड खोजने के लिए कह रहे हैं। बेड की अनुपलब्धता के कारण अन्य कोरोना मरीजों को मनपा अस्पताल में फर्श पर लेटते समय ऑक्सीजन के साथ इलाज किया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले 15-16 वर्षों की प्रैक्टिस में पहली बार बेड की कमी के कारण मरीजों को जमीन पर लिटाकर ऑक्सीजन देना पड़ रहा है।
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अस्पतालों में बेड खाली नहीं
यशवंतराव चव्हाण अस्पताल में पिंपरी-चिंचवड शहर और आसपास के जिलों से मरीज इलाज के लिए आते हैं। शहर का जंबो कोविड सेंटर, ऑटो क्लस्टर कोविड सेंटर, न्यू भोसरी हॉस्पिटल पूरी तरह भर चुके हैं। इस हालत में प्रशासन को जल्द ही कोई कारगर कदम उठाना चाहिए।