बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कुपोषण से बच्चों की मौत के लिए चेतवानी देते हुए कहा है कि कुपोषण के कारण किसी भी मौत के लिए राज्य के स्वास्थ्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। न्यायालय ने यह आदेश कुपोषण को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
याचिकाकर्ता ने महाराष्ट्र के मेलघाट में 15 दिनों में 14 बच्चों और एक गर्भवती महिला की कुपोषण से मौत का दावा किया है। हालांकि राज्य सरकार ने इस दावे का खंडन किया है। फिलहाल न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं और राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर अपने विचार रखने का निर्देश दिया है।
न्यायालय ने की सख्त टिप्पणी
कुपोषण के खिलाफ जनहित याचिका दायर किए तीन दशक हो चुके हैं। याचिकाओं पर अब तक सैकड़ों आदेश जारी किए जा चुके हैं। यह टिप्पणी करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी ने कहा कि उसके बाद भी राज्य के मेलघाट और अन्य आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या में सुधार नहीं हुआ है। गिरीश कुलकर्णी की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान इसे गंभीरता से लिया था। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस तरह की मौतों के लिए राज्य के स्वास्थ्य सचिव को जवाबदेह ठहराया जाएगा और अगर कुपोषण से बच्चों की मौत होती रही तो सख्त कार्रवाई के आदेश दिए जाएंगे।
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सरकार का खंडन
याचिकाकर्ता बंड्या साने ने याचिका दायर कर न्यायालय को बताया कि न्यायालय के आदेश के बावजूद पिछले 15 दिनों में मेलघाट में एक गर्भवती महिला के साथ ही 14 बच्चों की मौत हो गई। राज्य सरकार की ओर से पेश हुई एड नेहा भिड़े ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि न्यायालय के आदेश के बाद क्षेत्र में स्त्री रोग विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों को नियुक्त किया गया है।
हलफनामा दायर करने का आदेश
इस पर न्यायालय ने कहा कि हम याचिकाकर्ताओं द्वारा मौखिक रूप से दी गई जानकारी के आधार पर सरकार को आदेश नहीं दे सकते। इसलिए याचिकाकर्ताओं और राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर अपने विचार रखने चाहिए।