महाविकास अघाड़ी ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र दिया है, जिस पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के भी हस्ताक्षर है।
मुंबई महानगरपालिका में प्रशासकों की नियुक्ति करने वाले प्रशासकों के प्रदर्शन पर अब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), कांग्रेस, राकांपा ने नाराजगी जताई है। प्रशासकों की नियुक्ति के बाद बीएमसी में पारदर्शिता की कमी और मनमानी तबादलों से अधिकारियों का मनोबल गिर रहा है और मनपा का वित्तीय कुप्रबंधन हो रहा है। महाविकास आघाड़ी के मौजूदा पूर्व नगरसेवकों ने राज्य के मुख्यमंत्री को एक बयान के माध्यम से इस संबंध में नाराजगी व्यक्त की। चूंकि मनसे के तीन पूर्व पार्षदों ने भी इस पर दस्तखत किए थे, ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि क्या मनसे पार्टी भी महाविकास आघाड़ी में शामिल हो गई?
पत्र पर किसके हस्ताक्षर?
समाजवादी पार्टी और मनसे के साथ उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के पूर्व पार्षदों ने मुंबई महानगरपालिका में प्रशासकों के प्रदर्शन के संबंध में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को तीन पेज और लगभग 1,300 शब्दों का बयान सौंपा है। इस बयान पर पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर, पूर्व नेता प्रतिपक्ष रवि राजा, पूर्व गुट नेता व सपा के विधायक रईस शेख, राकांपा के राखी जाधव समेत सपा के छह, कांग्रेस के 15, राकांपा के चार, शिवसेना के 63 और संदीप देशपांडे शामिल हैं। सीमा शिवलकर और श्रद्धा की 2017 में नगरपालिका की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। पाटील और तीन पूर्व नगरसेवकों ने भी इस पर हस्ताक्षर किए हैं।
मनसे की भूमिका क्या है?
चूंकि मनसे के तीन पूर्व पार्षदों ने महाविकास आघाड़ी की ओर से प्रशासक की कार्यप्रणाली पर संदेह जताते हुए इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं। ऐसे में मनसे की असल भूमिका क्या है, यह सवाल उठाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि 2017 के चुनाव में निर्वाचित हुए पूर्व नगरसेवकों के हस्ताक्षर और बीएमसी की सदस्यता समाप्त होने पर मनसे के पूर्व नगरसेवकों ने भी भौंहें चढ़ा ली हैं।