अपने शैक्षणिक स्तर के लिए प्रसिद्ध दिल्ली का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) विचारधाराओं को लेकर विवादों से घिरा रहा है। यहां प्रधानमंत्री तक को प्रवेश नहीं करने दिया गया लेकिन आरोप है कि अफजल गुरु का महिमा मंडन और उसकी मौत का मातम मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करनेवाली पूरी लॉबी है। तो प्रश्न है कि क्या बुद्धिजीवी उन्माद से जूझता रहा है जेएनयू?
जेएनयू में पढ़ने आने वालों में स्नातक और उससे ऊपर के छात्र ही होते हैं। यहां से उच्च शिक्षा ग्रहण करना छात्रों का स्वप्न होता है। लेकिन यह जेएनयू कई विवादों का केंद्र भी बनता रहा है। इसे वामपंथी (साम्यवादी) विचारधाराओं का गढ़ माना जाता रहा है। आरोप है कि यहां छात्र यूनियन कठपुतली हैं जिसे पीछे बैठी लॉबी संचालित करती है। इसे सिरे से समझने के लिए हमने छात्र यूनियन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से संलग्न और जेएनयू में अध्ययनरत मनीष जांगीड़ से बात की। उनके अनुसार जेएनयू में वैचारिक मतभिन्नता रही है। यही कारण है कि यूनिवर्सिटी के बाहर इसकी छवि बहुत ही अलग ढंग से दिखती है। यहां स्वामी विेवेदानंद की प्रतिमा का विरोध करनेवाले छात्रों को इतिहास के विषय में पता न हो ऐसा नहीं है लेकिन, उन्हें ऐसा करने की प्रेरणा में यहीं के कुछ प्रबुद्ध वर्ग के लोग सम्मिलित हैं। इस प्रबुद्ध वर्ग के वैचारिक उन्माद के कारण ही यूनिवर्सिटी कैंपस में देश के प्रधानमंत्री भी प्रवेश नहीं कर पाए।
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जेएनयू में वामपंथी विचारधारा
यहां से जुड़े लोगों के अनुसार जेएनयू में उच्च शिक्षा के लिए अलग-अलग परिवेश से छात्र आते हैं। इनमें से ग्रामीण अंचल से आनेवालों की भी संख्या बहुत होती है। गरीब, वंचित और पिछड़े इलाकों से आनेवाले छात्रों को यहां समानता की एक छाप मिलती है। इस साम्यवादी विचारधारा के चक्कर में छात्र वामपंथी विचारों से संलग्न बिरादरी से प्रेरित हो जाते हैं। ऐसा मानना है कि यहां के शिक्षकों की बड़ी संख्या वामपंथ से प्रभावित है। इनमें से कईयों के विचारों को लेकर बवाल भी होता रहा है। ऐसे परिवेश में नया छात्र अपने आपको समाज की मुख्यधारा में सशक्त होता देख सम्मानित समझने लगा है और वो कब विचारधाराओं के चंगुल में फंस जाता है उसे भी नहीं पता होता।
यूनियन छात्रों का, विचार दलों का…
जेएनयू में लगभग 17 छात्र संगठन सक्रिय हैं। इनमें से लगभग सभी संगठन किसी न किसी राजनीतिक विचार धारा से प्रेरित हैं। पेश है इन संगठनों की कुछ जानकारी…
* आइसा (AISA) – ये छात्र संगठन सीपीआई (एमएल) के विचारों से प्रेरित है। आरोप है कि यूनियन इस दल के छात्र संगठन के रूप में कार्य कर रहा है और वामपंथी विचार धाराओं का छात्रों में प्रचार-प्रसार कर रहा है। समय-समय पर ये सीपीआई (एमएल) के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से कार्य करता या प्रशासन के समक्ष मांग उठाता रहा है।
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“When I give food to the poor, they call me a saint. When I ask why the poor have no food, they call me a communist.”#LalSalaamComrade
― Archbishop Dom Helder Camara pic.twitter.com/fPp4QGL9TD— AISA_JNU (@aisajnu) June 10, 2020
* एसएफआई (SFI) – इसे भी वामपंथी विचार धाराओं का माना जाता है। इसके कार्यक्रमों में इन विचारों की बहुलता महसूस की जा सकती है।
The warriors of the Red Army. Comrade Pinarayi Vijayan, CPI (M) Politburo member and Chief Minister of Kerala, speaks with Comrade Aishe Ghosh, SFI leader and JNU Student Union President.#ABVPAttacksJNU #AisheGhosh #JNUProtest @ComradeMallu @aishe_ghosh
@vijayanpinarayi pic.twitter.com/XeJXYHkBpa— Rince Kurian (@rinse_kurian) January 11, 2020
* डीएसएफ (DSF) – यह नया छात्र संगठन है जो जेएनयू में ही कार्य करता है। यह छात्र संघ भी वामपंथी विचारों को स्वीकार करता है।
Report: Cracks surfacing in the JNU left front as AISA and DSF fight it out.https://t.co/kXg6lonJhc
— TIMES NOW (@TimesNow) January 22, 2020
* पीआईएसएफ (PISF)– यह सीपीआई से संलग्न पुराना छात्र संगठन है।
* डीएसयू और बीएएसओ (बासो) (DSU) ( BASO) – यो दोनों ही छात्र संगठन साम्यवादी चरमपंथी विचारों के वाहक छात्र संगठन माने जाते हैं।
Radical outfit DSU poster at #JNU demands 'Freedom for #Kashmir'. Islamist freedom by killing ethnic minorities? Is this Freedom of Speech? pic.twitter.com/1vdkcuHY80
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) March 2, 2017
* कलेक्टिव और हसरते (COLLECTIVE) (HASRATE) – यह संगठन साम्यवादी विचारों को माननेवाले वानपंथी दलों के अनुरूप चलनेवाले संगठनों में आते हैं।
* बापसा (BAPSA) – जैसा की इसके नाम से स्पष्ट है बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स यूनियन, यह दलित विकास के विचारों को लेकर चलता है।
We need to assert again and again that RESERVATION IS OUR FUNDAMENTAL RIGHT, and we will fight for it everytime they attack it.
JAI BHIM. THE FUTURE IS BLUE.#StopKillingReservations#GiveOBCReservations pic.twitter.com/28hitzwGMo
— BAPSA (@BAPSA_JNU) June 13, 2020
* एनएसयूआई (NSUI) – नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया कांग्रेस का छात्र संगठन है।
* छात्र आरजेडी – राष्ट्रीय जनता दल का छात्र संगठन है।
https://twitter.com/Shehla_Rashid/status/1040836442803527680
*एबीवीपी (ABVP) – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बीजेपी व संघ परिवार की छात्र शाखा है।
इसके अलावा जेएनयू में छात्र संगठनों द्वारा निर्मित अलग-अलग फोरम बनाए गए हैं। जिसमें पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, दक्षिण भारत के अलग-अलग फोरम हैं। एबीवीपी के मनीष जांगीड़ बताते हैं कि जेएनयू में एबीवीपी को छोड़कर सभी छात्र यूनियन एक हो जाते हैं। जब भी चुनाव या अन्य किसी राय के लिए छात्रों के विचार पेश करने की बात होती है तब वामपंथी विचार धाराओं वाले छात्र संगठनों के साथ एबीवीपी के अलावा सभी छात्र संघठन खड़े दिखते हैं।
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