देश के अधिकांश बाजारों में टमाटर के दाम आसमान पर होने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। कई घरों में जहां इसकी खरीदारी बंद कर दी गई है, वहीं कुछ परिवारों ने इसका उपयोग कम कर दिया है। पिछले करीब एक माह से इसकी कीमत 40 से 60 रुपए किलो बनी हुई है।
हालांकि लखनऊ के सीतापुर रोड स्थित नवीन मंडी से लेकर हर तिराहे व चौराहे पर बिकने वाली हरी सब्जियां विशेष रूप से तरोई एवं भिंडी के रेट गिरने से बाजार को राहत मिली है। भिंडी खाने के शौकीन लोगों के चेहरे से मायूसी में कमी भी आयी है।
तराई क्षेत्र से लखनऊ आ रही भिंडी
लखनऊ में भिंडी का रेट तीस रुपये प्रति किलो के दर पर आ गया है। गलियों, छोटे चौराहों एवं मंडियों पर बिक्री को तैयार भिंडी को बड़े ही दिलचस्पी के साथ लोग खरीद रहे हैं। भिंडी की मांग को देखते हुए बाजार में बड़ी मात्रा में बाहर से भिंडी मंगायी जा रही है। तराई क्षेत्र से लखनऊ आ रही भिंडी को ठंडे स्थान पर रखा जा रहा है, जिससे उसके सूखने का संकट ना हो सके।
कारोबारी भिंडी की बिक्री से खुश
ये भी पढ़ें – सोमैया ने उद्धव ठाकरे को बताया डरपोक, शिवसेना के हिंदुत्व पर हमला करते हुए कह दी यह बात! भिंडी को होलसेल रेट पर खरीदने पर प्रति पचास किलो की एक बोरी का रेट एक हजार रुपये चल रहा है। मंडी में होलसेल कारोबारी भिंडी की बिक्री से खुश हैं। कारोबारी परमानंद ने बताया कि गर्मियों के मौसम में सब्जियां थोड़ी महंगी हुई हैं। भिंडी का रेट गिरा है। होटलों में भिंडी की खपत ज्यादा है, वहीं दूसरे देशों में भी भिंडी जाती है। लखनऊ भी एक बड़ा बाजार है, जहां भिंडी की बिक्री जोरों पर होती हैं।
30 रुपये पर रेट स्थिर हो गया
भिंडी की तरह ही तरोई (नेनूआ) भी बाजार में तीस रुपये प्रतिकिलो के रेट से बिक्री में आ गया है। पहले इसका रेट पचास रुपये तक था और बीच में 25 रुपये भी आया था। फिलहाल तीस रुपये पर रेट स्थिर हो गया है।
भिंडी के रेट गिरने से जनता को भी राहत
पवन कुमार सब्जी विक्रेता के अनुसार सब्जी खरीदने आने वाले लोगों को हरी सब्जियां भी चाहिए होती है। लौकी कद्दू के बाद तरोई और भिंडी तो पसंदीदा सब्जी है। करेला भी बेचा जाता है लेकिन उसको पसंद करने वाले कम हैं। भिंडी को महिलाएं एवं बच्चे ज्यादा खाना पसंद करते हैं। भिंडी के रेट गिरने से बाजार ही नहीं, जनता को भी राहत मिली है।