श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दायर वाद पर 19 अप्रैल को सिविल जज सीनियर डिवीजन ज्योति सिंह की अदालत में सुनवाई हुई। वादी ने स्थल का सर्वे कराने, रिसीवर बैठाने के प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई की बात कही। दोनों पक्षों की तरफ से हुई बहस के बाद न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 26 अप्रैल दी है।
अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दायर की है याचिका
अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा सिविल जज सीनियर डिवीजन की न्यायालय में याचिका दायर की थी कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए। मंगलवार को ठाकुर केशवदेव जी महाराज बनाम इंतजामिया कमेटी वाद में सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता जीपी निगम ने कोर्ट ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। उन्होंने बताया कि वादी द्वारा दिए गए विभिन्न प्रार्थनापत्रों की प्रतियां उपलब्ध नहीं कराईं गईं है। विभिन्न प्रार्थना पत्र तत्कालिक नहीं है। शाही ईदगाह के सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद ने उपासना स्थल अधिनियम पर बहस की मांग की। याचिकाकर्ता द्वारा याचिका में शाही ईदगाह को अवैध बताते हुए कहा है कि यह निर्माण अवैध है। यह श्री कृष्ण की जन्मस्थली और पूजा स्थली है। याचिकाकर्ता ने उपासना स्थल अधिनियम 1991 को यहां लागू न होने का अपना तर्क रखा।
याचिकाकर्ता ने रखा अपना पक्ष
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्हें बहुत कम समय के नोटिस पर न्यायालय में अपनी बहस करने का मौका दिया गया। इन तथ्यों के बाद कोर्ट ने अब इस मामले में सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि नियत की है। इस दिन उपासना स्थल अधिनियम पर पक्ष रखा जाएगा।
शाही इमाम के अधिवक्ता ने कही ये बात
शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता व इंतजामिया कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने याचिकाकर्ता की दलीलों को बेबुनियाद बताया है। शाही ईदगाह पक्ष द्वारा प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप एक्ट का हवाला भी दिया है।