मुंबई महानगर पालिका द्वारा शहर में जल वितरण किया जाता है। शहर की जल वितरण व्यवस्था पूरी तरह से बारिश पर आधारित है। इसलिए मनपा ने नागरिकों के जल उपयोग की सीमा निर्धारित की है। इसकी निगरानी होती है टेलिस्कोप से। लेकिन पानी पर पहरे की ये कोशिशें नाकाम हो गई हैं और मनपा का अतिरिक्त जल खर्च पर चौगुना दाम वसूलने की कोशिश भी फेल है।
शहर में प्रतिदिन 3800 मीलियन लीटर जलापूर्ति की जाती है। इसके लिए मुंबई महानगर पालिका के पास सात तालाब हैं। इन तालाबों में वर्षा का जल संचय किया जाता है। इस जल को वर्ष भर यानी अगली बारिश तक शहर को दिया जाता है। बढ़ती आबादी के लिहाज से जल की मांग भी दिनोंदिन बढ़ रही है। इस मांग को पूरा करने के लिए मुंबई मनपा ने प्रति व्यक्ति 150 लीटर जलापूर्ति की सीमा तय की है। प्रति घर में 5 सदस्य के हिसाब से 750 लीटर जल की आपूर्ति की जाती है। लेकिन मुंबई के नागरिक इससे कहीं अधिक जला का उपयोग कर रहे हैं।
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जल बहाओ तो पैसा भी बहाओ
मनपा के अनुसार जिन घरों में तय सीमा यानी प्रति व्यक्ति 150 लीटर से अधिक उपयोग होता है,उन घरों में 150 लीटर से 200 लीटर तक चौगुना दाम देना होगा। लेकिन मनपा का मानना है कि उसकी ये कोशिश भी मुंबई वासियों को नियंत्रित करने में नाकाम है।
जिन सोसायटियों में कूपनलिका, वर्षा जल संचयन, सीवेज वॉटर प्रक्रिया क्षमता है, वहां 90 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से जलापूर्ति निर्धारित है। लेकिन मनपा की ये सारी कोशिशें नाकाम हैं। मुंबईवासी जमकर पानी का उपयोग कर रहे हैं। मांग दिनों दिन बढ़ रही है, जबकि तालाबों की क्षमता में कोई बड़ी बढ़ोतरी नहीं हो रही है।
पानी की बढ़ी दर
150 लीटर तक 5.22 रुपए
मानवता की दृष्टि से जलवाहिनी के जलआकार – 10.45 रुपए
150-200 लीटर तक 20.88 रुपए (वर्तमान दर 10.44 रुपए)
मानवता की दृष्टि से जलवाहिनी के जलआकार – 41.80 (वर्तमान दर 5.22 रुपए)
200-250 लीटर तक 26.10 रुपए (वर्तमान दर 15.55 रुपए)
250-300 लीटर तक 31.32 रुपए (वर्तमान दर 20.88 रुपए)
मनपा का टेलिस्कोप फेल
मुंबई मनपा के अनुसार जल उपयोग की गणना के लिए वो टेलिस्कोप पद्धति का उपयोग करती है। लेकिन उसकी ये पद्धति कितनी करागर है, इसका कोई पारदर्शी प्रमाण जनता के लिए अब तक उपलब्ध नहीं हो पाया है।
खर्च में दिल फेंक हैं मुंबईकर
मुंबई वासियों से मनपा अतिरिक्त जल उपयोग पर दोगुना, तिगुना और चौगुना पैसे वसूल रही है। लेकिन मुंबई वाले तो मानते ही नहीं। दिल फेंक की तरह पानी बहा रहे हैं और उसके लिए पैसा भी खर्च कर रहे हैं।