मुंबई की जीवनदायिनी नदियां गंदे नालों में बदल गई हैं। मीठी गंदगी का रोना रो रही है और प्रशासन अब नालों में बदली मुंबई की दूसरी नदियों को कई सौ करोड़ रुपए खर्च करके उनके वास्तविक रूप में लाने की योजना बना रहा है। खास बात यह है कि बस इतनी सी सलाह के लिए मुंबई मनपा द्वारा 6 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा। जबकि खास बात ये है कि जब पहले से ही जारी नदियों की सफाई कांगजों पर सरपट और वास्तविकता में रेंग रही है तो ये करोड़ों की सलाह आखिर किसलिए?
ये भी पढ़ें – सीबीआई लॉक्डअप! क्या बचाना चाहती है सरकार?
मीठी का विकास दम तोड़ चुका है। नदी विहार लेक के अपने उद्गम से आगे बढ़ते ही गंदगी में बदल जाती है। इस नदी को अविरल और स्वच्छ जल से कलकल बहाने के लिए करोड़ो रूपए खर्च हो गए हैं लेकिन मीठी नदी का जल मीठा तो छोड़िये अपनी कालिमा से मुक्ति नहीं पा सका है। ऐसी स्थिति के बावजूद प्रशासन शहर की दहिसर, पोयसर और ओशिवरा वालभट नदी को नाले से मुक्ति दिलाने की योजना बना रहा है। इस योजना पर 1450 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके लिए सलाहकार को 6 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जाएगा।
कागज पर कलकल बहती नदियां
शहर की नदियों की बुरी गति है। 26 जुलाई 2005 की बाढ़ के बाद मीठी नदी के कायाकल्प की योजना को प्रधानता से शुरू किया गया था। इसके लिए प्राधिकरण का गठन भी किया गया। लेकिन इसके लिए नामित सरकारी एजेंसी मुंबई मेट्रोपॉलिटन एंड रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी मात्र चौंड़ाई बढ़ाने के अलावा कुछ नहीं कर पाई। इसके बाद यह काम मुंबई मनपा की झोली में आया। मनपा इसमें बहनेवाले नालों को रोकने और सीवेज वॉटर ट्रीटमेंट का कार्य पिछले एक साल से कर रही है लेकिन नदी का पानी और सड़ांध सबकुछ बयॉं कर रहा है। इसी प्रकार पिछले पांच साल से पोयसर, दहिसर और ओशिवरा के वालभट नालों को पुनर्जीवन देकर उनके वास्तविक रूप में लौटाने का कार्य भी चल रहा है। साल दर साल कागज पर बजट बनता है कुछ बचता है कुछ खर्च हो जाता है और काम कैरीफॉर्वर्ड हो जाता है।
ये भी पढ़ें – देवनार के कचरे से खाड़ी को टेंशन
काम ठंडा, दाम चंगा
मुंबई मनपा ने नदियों के सौंदर्यीकरण और संवर्धन के लिए एक सलाहकार कंपनी का चुनाव किया है। ये कंपनी प्रकल्प व्यवस्थान सलाहकार के तौर पर सेवा देगी। इसके लिए टंडन अर्बन सोल्यूशन प्रा.लि का चयन हुआ है। इस कंपनी को कुल लागत का 0.45 प्रतिशत भुगतान करना है। नदियों के विकास की कुल लागत 1450 करोड़ रुपए है जिसके लिए सलाहकार कंपनी को 6 करोड़ रुपए अदा करने होंगे।
कैसे बनेंगे नाले, नदी?
नदियों के भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए इन नदियों में जानेवाले गटर के पानी, कारखानों के रसायन, कीचड़ और तबेलों की गंदगी को रोका जाएगा। इसके साथ ही नदी के दोनों किनारे सुरक्षा दीवार बनाकर दोनों तरफ सड़कें बनाई जाएंगी। गटर के पानी और सीवेज वॉटर को शुद्धीकरण प्लांट ले जाकर उस पर ट्रीटमेंट किया जाएगा और समुद्र में विसर्जित किया जाएगा।
प्रथम चरण का खर्च
पोयसर नदी : ७५१ करोड़ ६९ लाख रुपये
दहिसर नदी : १८० करोड़ ९८ लाख रुपये
ओशिवरा-वालभट नदी : ५०३ करोड़ ४२ लाख रुपये
सलाहकार का चार्ज
दहिसर नदी : ८१ लाख ४४ हजार रुपये
ओशिवरा-वालभट नदी : २ करोड़ ३६ लाख रुपये