देश में कोरोना से हजारो बच्चे अनाथ हो गए हैं। महाराष्ट्र की बात करें तो आंकड़ों को देखकर ये पता लगता है कि पिछले साल से जारी इस कोरोना संक्रमण से शहरी क्षेत्र के बच्चे ज्यादा अनाथ हुए हैं। इसका एक कारण यह भी है कि गांवों की अपेक्षा शहरों में कोरोना का कहर ज्यादा बरपा है। इस कारण बच्चे भी ज्यादातर शहरों के ही अनाथ हुए हैं। इनमें मुंबई, पुणे,ठाणे, नागपुर आदि प्रमुख रुप से शामिल हैं।
पुणे में सबसे ज्यादा बच्चे हुए अनाथ
कोरोना की पहली और दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मरीज पुणे में ही मिले। इस वायरस की चपेट में आने से हजारों लोगों की जान चली गई। महाराष्ट्र में पुणे जिले में माता-पिता गंवाने वाले अनाथ बच्चों की संख्या सबसे अधिक है। यहां 1 हजार 380 बच्चे अनाथ हो गए। पुणे के बाद नागपुर 1 हजार 206, ठाणे 1 हजार 103, मुंबई 762 और नासिक में 508 बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं। अनाथालय में भर्ती बच्चों में ठाणे 53, नागपुर 36 और पुणे 34 शामिल हैं। राज्य में अनाथालय में रह रहे बच्चों में 221 लड़के और 180 लड़कियां हैं।
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प्रदेश में इतने बच्चे हैं अनाथ
महाराष्ट्र के आंकड़ों पर नजर डालें तो कोरोना से राज्य में 13 हजार 197 बच्चे अनाथ हो चुके हैं, जिनमें से 11 हजार 659 बच्चों ने अपने पिता को खोया है, जबकि 1 हजार 538 बच्चों ने अपनी माता को खोया है। 409 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को कोरोना महामारी में खो दिया है। राज्य महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने कहा है कि ऐसे बच्चों को अनाथालय में रखा गया है। इन बच्चों के पुनर्वास और देखभाल के लिए जिला स्तर पर एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। जिला कलेक्टर की देखरेख में ये टास्क फोर्स काम करेगी और बच्चों की काउंसलिंग के साथ-साथ कानूनी तथा वित्तीय सहायता प्रदान करने पर ध्यान देगी। टास्क फोर्स बाल तस्करी और बाल मजदूरी आदि पर भी ध्यान रखेगी।
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महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने यह कहा
सरकार ने इन बच्चों को अपनी कस्टडी में ले ली है और इनके पुनर्वास की जिम्मेदारी भी ली है। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री यशोमति ठाकुर ने यह जानकारी देते हुए कहा कि हम बच्चों को लैपटॉप, एंड्रॉइड मोबाइल और अन्य आधुनिक उपकरणों की आपूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्य जिला कलेक्टर की देखरेख में किया जा रहा है। इसके साथ ही सामाजिक संगठन व इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी, मुंबई भी इस काम में मदद कर रही है।
बैंक खाते में जमा किए जाएंगे 5 लाख
इन अनाथ बच्चों के भविष्य के लिए इनका बीमा किया जाएगा और इनके बैंक खाते में 5 लाख रुपये जमा किए जाएंगे। इस पैसे का उपयोग बच्चे 18 साल की उम्र के बाद कर पाएंगे। जिन बच्चों के रिश्तेदार बच्चों की कस्टडी के लिए आगे आएंगे, उन बच्चों को उन्हें सौंप दिया जाएगा। चाइल्ड केयर योजना के तहत प्रत्येक बच्चे को हर मीहने 1,125 रुपये दिए जाएंगे। यशोमति ठाकुर ने बताया कि अनाथालय में रखने के बजाय बच्चों को रिश्तेदारों को सौंपने के प्रयास किए जा रहे हैं।