कुपोषण एक ऐसी स्थिति है, जो अपर्याप्त पोषण के कारण कमजोरी और बीमारी का कारण बनती है। ऐसे बच्चे या व्यक्ति को कुपोषित कहा जा सकता है। कुपोषण कोई बीमारी नहीं है, बल्कि अस्वास्थ्यकर आहार और जरुरी विटामिन की कमी के कारण पैदा होने वाली स्थिति है, जो बच्चों के शरीर को प्रभावित करती है। भारत में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं और उनमें से आधे से अधिक गंभीर कुपोषण की श्रेणी में आते हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में कहा कि इस सूची में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात शीर्ष पर हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना महामारी ने गरीब व्यक्ति के स्वास्थ्य और पोषण संकट को भी बढ़ा दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 14 अक्टूबर 2021 तक देश में 17.76 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित पाए गए। इसके अलावा 15.46 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं।
33 लाख बच्चे कुपोषित
देश के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़ों के अनुसार 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं। पोषण परिणामों की निगरानी के लिए पिछले साल बनाए गए पोषण ट्रैकर ऐप के माध्यम से कुपोषित बच्चों की संख्या को ट्रैक किया गया है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि आंगनबाडी व्यवस्था के 8.19 करोड़ बच्चों में से 33 लाख बच्चे कुपोषित हैं।यह औसत बच्चों की आबादी का 4.04 प्रतिशत है।
कुपोषित बच्चों में 91 प्रतिशत की वृद्धि
पिछले वर्ष के कुपोषित बच्चों के आंकड़ों की तुलना करने पर पता चलता है कि एक वर्ष में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या में 91 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नवंबर 2020 में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या 9.27 लाख थी, जो 14 अक्टूबर 2021 को बढ़कर 17.76 लाख हो गई। देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या के आधार पर यह आंकड़ा तैयार किया गया है।