NITI Aayog: नीति आयोग ने 3 मार्च को “उधारकर्ताओं से निर्माणकर्ताओं तक: भारत की वित्तीय विकास की कहानी में महिलाओं की भूमिका” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में ज्यादातर महिलाएं तेजी से अपने वित्त की जिम्मेदारी ले रही हैं और वे अधिक ऋण ले रही हैं तथा अपने क्रेडिट स्कोर पर सक्रिय रूप से नजर रख रही हैं।
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रह्मण्यम की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महिलाएं सक्रिय रूप से ऋण लेने और अपने क्रेडिट स्कोर की निगरानी करके अपने वित्तीय भविष्य की जिम्मेदारी ले रही हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में अधिक महिलाएं ऋण लेना चाहती हैं और सक्रिय रूप से वे अपने क्रेडिट स्कोर की निगरानी कर रही हैं।
27 मिलियन महिलाएं कर रही हैं अपने क्रेडिट की निगरानी
रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2024 तक 27 मिलियन महिलाएं अपने क्रेडिट की निगरानी कर रही थीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 42 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है, जो बढ़ती वित्तीय जागरुकता का संकेत देता है। इस रिपोर्ट को ट्रांसयूनियन सीआईबीआईएल, नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूईपी) और माइक्रोसेव कंसल्टिंग (एमएससी) द्वारा प्रकाशित किया गया है।
वित्त तक पहुंच महिला उद्यमिता के लिए महत्वपूर्ण कदम
इस रिपोर्ट की लॉचिंग के दौरान नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने में वित्त तक पहुंच की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरकार मानती है कि वित्त तक पहुंच महिला उद्यमिता के लिए एक बुनियादी प्रवर्तक है। महिला उद्यमिता मंच का एक समावेशी इको-सिस्टम बनाने की दिशा में काम करना जारी है, जो वित्तीय साक्षरता, ऋण तक पहुंच, परामर्श और बाजार लिंकेज को बढ़ावा देता है।