Motivational Shayari: प्रेरक शायरी के क्षेत्र में, शब्द आग की लपटों की तरह नाचते हैं, आत्मा को उत्साह और दृढ़ संकल्प से प्रज्वलित करते हैं। प्रत्येक कविता, जीवन की कठिनाइयों के बीच आशा की किरण, लचीलेपन के सार के साथ प्रतिध्वनित होती है।
“राहत मिला गी जब मुसीबत का सामना करेंगे, हौसला बुलंद है तो मंजिल भी आसान करेंगे,” दृढ़ता की भावना को समाहित करता है, हमें याद दिलाता है कि अटूट साहस के साथ, यहां तक कि सबसे कठिन चुनौतियां भी पार करने योग्य हो जाती हैं। ये शायरी महज़ शब्द नहीं हैं; वे प्रोत्साहन की फुसफुसाहटें हैं, जो अंधेरी रातों में विजय की सुबह की ओर हमारा मार्गदर्शन करती हैं।
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अदम्य भावना का जश्न
इसके अलावा, वे हमारे भीतर की अदम्य भावना का जश्न मनाते हैं, हमें विपरीत परिस्थितियों से ऊपर उठने और अपनी आंतरिक शक्ति को अपनाने का आग्रह करते हैं। “चलना है तो रुकना नहीं, हौसला बुलंद है तो मंजिल बनाती है,” यह भावना प्रतिध्वनित होती है कि दृढ़ संकल्प ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। प्रत्येक शब्दांश के साथ, ये शायरी प्रेरणा का जाल बुनती है, हमारी क्षमताओं में विश्वास पैदा करती है और महानता की ओर हमारी यात्रा को बढ़ावा देती है। जीवन की टेपेस्ट्री में, ये शायरी वे धागे हैं जो हमारी आकांक्षाओं को वास्तविकता से जोड़ते हैं, हमें याद दिलाते हैं कि जुनून और दृढ़ता के साथ, संभावनाओं का क्षितिज असीमित है।
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टॉप 10 प्रेरक शायरी यहां पढ़ें:
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों।
~बशीर बद्र
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।
~मजरूह सुल्तानपुरी
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं ,
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं।
~ जिगर मुरादाबादी
यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है ,
हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है।
~ मंज़ूर हाशमी
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो।
~ निदा फ़ाज़ली
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले ,
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
~ अल्लामा इक़बाल
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा,
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता।
~ वसीम बरेलवी
न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा,
हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा।
~ राहत इंदौरी
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
~ दुष्यंत कुमार
तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई ज़मीन नहीं,
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं।
~ दुष्यंत कुमार
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