Mumbai: हिंदू धर्म रक्षक भागोजीशेठ कीर की जयंती के अवसर पर भागोजीशेठ कीर स्मारक समिति द्वारा 26 फरवरी को शोभा यात्रा एवं अभिनंदन सभा का आयोजन किया गया है। शोभा यात्रा शाम 4.30 बजे बंगाल केमिकल, सेंचुरी बाजार से शुरू होकर भागोजीशेठ कीर स्मारक, दादर चौपाटी तक जाएगा। हिंदू धार्मिक कार्यकर्ता भागोजीशेठ कीर का जन्म 4 मार्च 1867 को महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। इसीलिए महाशिवरात्रि के अवसर पर इस शोभायात्रा का आयोजन किया गया है।
भगोजीशेठ कीर की बदौलत, मुंबई में हिंदू हिंदू के रूप में अपना अस्तित्व बनाए रखने में सक्षम हुए। इसीलिए भागोजीशेठ कीर हिन्दू धर्म के रक्षक थे। यह अभिवादन सभा में लोगों को बताया जाएगा। मुख्य मार्गदर्शक नवीनचंद्र बांदिवडेकर ने बताया कि भगोजीशेठ कीर स्मारक समिति द्वारा भगोजीशेठ कीर के गुप्त इतिहास और उनके स्वतंत्रता के लिए किए गए कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है।
इस वर्ष शोभायात्रा का 18वां वर्ष है तथा पिछले 17 वर्षों से यह शोभायात्रा हिन्दू धर्म के रक्षक श्रीमान् भगोजीशेठ कीर की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित की जाती रही है। इस शोभायात्रा के बाद भागोजीशेठ कीर स्मारक स्थल पर भगोजीशेठ कीर की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए जाएंगे। इसके बाद अभिवादन बैठक शुरू होगी। इस अभिनंदन समारोह में उद्योग मंत्री उदय सामंत, विधायक किरण सामंत, स्थानीय विधायक महेश सावंत, स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पोते और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर, भगोजीशेठ कीर के वंशज अंकुर कीर, स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे और अन्य गणमान्य उपस्थित रहेंगे।
पत्रकारों को जानकारी देते हुए मुख्य मार्गदर्शक नवीनचंद्र बांदिवडेकर ने कहा कि हिंदू धर्मरक्षक भागोजीशेठ कीर की जयंती समारोह को पिछले वर्ष मुंबई के पूर्व पालकमंत्री दीपक केसरकर का समर्थन प्राप्त हुआ था। उनके नेतृत्व में हिन्दू धर्म रक्षक भगोजीशेठ कीर का स्मारक बनाया गया। बांदिवडेकर ने यह भी बताया कि स्मारक के लिए महाराष्ट्र सरकार से 20 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है।
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हिंदू धर्म रक्षक भागोजीशेठ ने रत्नागिरी में अछूतों के लिए विट्ठल मंदिर में प्रवेश पाने का प्रयास किया। उन्होंने स्वातंत्र्यवीर सावरकर की परिकल्पना के अनुरूप पतितपावन मंदिर का निर्माण अपने खर्च पर कराया। इस मंदिर का निर्माण 22 फरवरी 1931 को किया गया और इसे जनता के लिए खोल दिया गया। इस प्रकार हिन्दू धर्म के रक्षक भगोजीशेठ कीर ने सामाजिक क्रांति में अपना योगदान दिया।
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