महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों के निवासी डॉक्टरों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 2 जनवरी से हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। इस हड़ताल से ओपीडी सुविधाएं ठप हो सकती है, जबकि आपात सेवाएं सामान्य रहेंगी।
इन मांगों को लेकर हड़ताल
मार्ड की तरफ से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हड़ताल की आधिकारिक घोषणा की गई है। मार्ड की मांग है कि बकाए वेतन का शीघ्र भुगतान किया जाए। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में वरिष्ठ निवासी डॉक्टरों के 1432 पदों के प्रस्ताव को तत्काल मंजूरी दी जाए, ताकि रेजिडेंट डॉक्टरों को बांड सेवाएं देने का अधिकार मिल सके। कोरोना काल में पीजी 2020 बैच के योगदान को ध्यान में रखते हुए उन्हें शिक्षा शुल्क में छूट मिलनी चाहिए। महाराष्ट्र के लगभग सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में छात्रावास अपर्याप्त हैं। वर्तमान और भविष्य में छात्रों की संख्या में होने वाले वृद्धि को ध्यान में रखते हुए यहां नए छात्रावास इमारतों के निर्माण के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जानी चाहिए। फिलहाल जेजे अस्पताल में 1500 स्नातकोत्तर छात्रों के लिए एक छात्रावास की आवश्यकता है। निवासी डॉक्टरों के हितों के लिए विश्वविद्यालय के निर्णय प्रक्रिया में जगह दी जानी चाहिए। जिसमें प्रत्येक कॉलेज से एक प्रतिनिधि होना चाहिए। हर महीने एक बैठक होनी चाहिए, जो छात्रों और प्रशासन के बीच संवाद बनाए रखेगा। सभी कॉलेजों में पाठ्यपुस्तकों की कमी है। निवासी डॉक्टरों के ट्यूशन का भुगतान महीने के हर पांचवें दिन के अंदर किया जाना चाहिए, ताकि रेजिडेंट डॉक्टर के ऋण की मासिक किस्त सुविधाजनक हो और अन्य वित्तीय समस्याएं उत्पन्न न हों जैसी कई मांगों का समावेश है।
मांग नहीं माने जाने से नाराज
मार्ड के अध्यक्ष डॉ. अविनाश दहिफले के अनुसार संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल ने शीत सत्र के दौरान सचिव सौरभ विजय और आयुक्त वीरेंद्र सिंह से मुलाकात कर अपनी बातें को रखी थी। हमारी मांगें नहीं मानी गई हैं। ऐसे में हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। इससे पहले संबंधित मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ संगठन की बैठकें हो चुकी हैं। बीते साल 16 जून को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करके हमने अपनी समस्याएं रखीं थीं। अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए।